खास बात यह रही कि बगैर किसी संत महात्मा या पंडा पुजारी के इस चमत्कार को अंजाम दिया गया। शासकीय सेवकों ने जो कि सिर्फ स्थान की झाड़ को हिलाकर लोगों की आखें खोल रहे थे। 12 किलोमीटर के हिस्से में फैले श्रद्धालुओं के जन सैलाब के स्वागत में लगे क्षेत्र के ग्रामीणजन, वाहनों की पार्किग के लिए तैनात पांच सैकड़ा से अधिक पुलिसकर्मी और लोगों की सुविधा के लिए तैनात पांच सौ शासकीय कर्मी प्रशासन की मेजबानी को स्पष्टकर रहे थे।
चलो बुलावा आया है
मंदिर की ओर जाने वाले चरोखरा, बसई, लोकेंद्र पुर, बेहट एवं देवगढ़ के रास्तों के आते श्रद्धालुओं की भीड़। माता के जयकारे लगाते हुए लोगों की आवाज पूरे विंध्यांचल पर्वत को भक्ति रस से सराबोर कर रही थी। जंगल में मंगल का अहसास कराते सैलानियों की यह भीड़ दीपावली की रात से अनवरत आ जा रही है।
गाल में पिरोई सांग
गाल में लोहे की सांग पिरोए भक्तों का काफिला माता पर जवारें चढ़ाने जा रहा है। इसके अलावा मंदिर तक का रास्ता सीने के सहारे लेटते हुए पार करने वाले यह भक्त आस्था का नमूना पेश कर रहे थे।
..जैसे हो गए हों मृत
मंदिर परिसर के समीप आते ही भक्त जिसे पूर्व में किसी जहरीले कीट ने डसा था और उसे कुंअर बाबा के नाम का बंध लगाया गया है उसे महर आने लगते हैं। वह मुंह से झाग देते हुए अचेत हो जाता है। हालत यह होती है कि उसके साथी उसे कंधे पर रख कर ले जाते हैं। प्रशासन के मुताबिक दो दिनों में दस हजार से अधिक ऐसे नजारे देखने को मिले।
पेड़ की छाल और परिक्रमा ने किया कमाल
सांप काटे के पीड़ितों को जैसे ही कुंअर बाबा के मंदिर परिसर में लाया जाता तो वहां तैनात पुलिस, होमगार्ड एवं राजस्व महकमे के कर्मचारी पेड़ की छाल से उसे झाड़ते। इसके बाद जोर से कुंअर बाबा के नाम के जयकारे लगाए जाते और देखते ही देखते पीड़ित व्यक्ति का बंध खुल जाता है। अब लोगों के कंधों के सहारे पहुंचे पीड़ितों को कंधे की जरूरत नहीं रहती।
दर्शन के लिए जद्दोजहद
माता रतनगढ़ वाली एवं कुंअर बाबा के मंदिर पर इतनी अधिक संख्या में श्रद्धालु थे कि पुलिस के लिए दर्शन करा पाना संभव नहीं हो पा रहा था। नतीजतन माता मंदिर के गेट को बंद कर बाहर से ही दर्शन कराए जा रहे थे, वहीं कुंअर बाबा की चौखट तक ही लोगों का प्रवेश था।
भक्त घर ले गए वृक्षों की डाल
मान्यता के अनुसार माता मंदिर परिसर में लगे वृक्षों की डाल घर में रखने से कोई जहरीला जीव घर पर नहीं आता और न हीं लोगों को डसता है। इस तथ्य के प्रति लोगों के विश्वास को प्रमाणित करते भक्त हाथ में पेड़ की डाल अपने घर ले जात रहे थे।
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