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20 अक्तूबर 2011

मौत को दांव पर लगा, दो वक्त की रोटी जुटाता है यह परिवार

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दुगरूकोंदल/रायपुर। लोग जिंदगी चलाने व सुख-सुविधाओं को पाने कई तरह के कार्य कर अपनी आजीविका के साधन जुटाते है। दुर्ग जिले के शशिकांत विलियम्सन अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को खौफनाक जादू के खेल दिखाकर अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं।

ग्राम कंवर के 35 वर्षीय जादूगर शशिकांत इन दिनों गांव-गांव जाकर साइकिल सर्कस, कांच खाना, गर्म सब्बल को जीभ से ठंडा करना, दो मोटर साइकिल के बीच फांसी पर लटकना, सीने में पत्थर फोड़ना, कमर में रस्सी बांधकर वाहनों को खींचना, मिट्टी में समाधि लेना, सर में बम फोड़ना, बच्चे को गायब करना जैसे अनेक जोखिम भरे खेल दिखाते हैं। शशिकांत ने बताया कि उन्हें यह कला विरासत में मिली। अपने पिता से और कुछ जादू कानपुर से सीखा। तीन भाई और हैं वे भी गांव-गांव जाकर कला दिखाते हैं। ऐसा करतब दिखाने में खतरा तो है लेकिन दो वक्त की रोटी भी छुपी है।

जादूगर शशिकांत ने बताया कि इतना जोखिम भरे खेल से अपने बच्चों को दूर ही रखेंगे। बच्चे को स्कूल में पढ़ाना चाहते है। दो लड़के और एक लड़की है जो पढ़ रही हैं। खेल दिखाने में पत्नी मैरी भी सहयोग करती है। जिंदगी मौत से जूझकर लोगों का मनोरंजन करने वाला शशिकांत का परिवार शासन के जन कल्याणकारी योजनाओं से कोसों दूर है।

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