इस दौरान सरकारी वकील ने जब बताया कि मामला सीबीआई को सौंप दिया है तो न्यायाधीश माथुर ने कहा कि इससे स्टेट पुलिस की जिम्मेदारी खत्म हो सकती है, लेकिन सरकार की जिम्मेदारी तो उतनी ही रहेगी। सिर्फ जांच एजेंसी बदली है, मामला केंद्र सरकार को थोड़े ही ट्रांसफर किया है।
अगली सुनवाई 17 को
अदालत ने अमरचंद के वकील से कहा कि वे चाहें तो और नाम जुड़वा सकते हैं। वकील ने कहा- बिलाड़ा कोर्ट में दायर इस्तगासे की कॉपी पहले ही फाइल की हुई है। खंडपीठ ने सरकारी प्रोग्रेस रिपोर्ट को पेश किए जाने के साथ अगली सुनवाई सोमवार 17 अक्टूबर को करने के आदेश दिए।
सीबीआई ने शुरू की पूछताछ
सीबीआई ने गुरुवार को भंवरी के बोरुंदा स्थित घर पर उसके पति अमरचंद से पूछताछ की। इसके बाद मामले में गिरफ्तार दो आरोपियों ठेकेदार सोहनलाल व बलदेव से अनुसंधान की इजाजत लेने के लिए बिलाड़ा एसीजेएम कोर्ट में अर्जी लगाई। पुलिस की एफआईआर में क्लोजर नहीं लगने के कारण सीबीआई को इसकी इजाजत नहीं मिली।
सीबीआई के एसपी राजेश राठी के नेतृत्व में टीम बुधवार को जोधपुर पहुंची थी और भंवरी मामला टेकओवर कर लिया था।
अमरचंद ने सीबीआई को कथित सीडी को लेकर भंवरी का अपहरण किए जाने की आशंका जताते हुए केबिनेट मंत्री के विरुद्ध पेश किए गए इस्तगासे की जानकारी दी। टीम ने यहां से भंवरी के फोटोग्राफ लिए और परिजनों से बातचीत कर बिलाड़ा चली गई।
बिलाड़ा पहुंचने के बाद सीबीआई टीम ने पुलिस अधिकारियों से मामले में चर्चा की तथा शहाबुद्दीन की उस बोलेरो को देखा, जिसमें भंवरी को अगवा किया गया था। सीबीआई ने बिलाड़ा एसीजेएम कोर्ट में आरोपियों से अनुसंधान की इजाजत मांगी, जिसे नामंजूर कर दिया गया। दरअसल, किसी भी अपराध की एफआईआर, जांच एजेंसी और कोर्ट एक ही होता है। बिलाड़ा थाने की एफआईआर में क्लोजर नहीं लगने से यह मामला अभी बिलाड़ा कोर्ट में स्टैंड करता है। क्लोजर लगने पर ही इस प्रकरण की फाइल और सीबीआई की एफआईआर सीबीआई कोर्ट में जाएगी। तभी आरोपियों को प्रोडक्शन वारंट तथा रिमांड पर लेने की प्रक्रिया होगी।
उधर, दिल्ली से आई सीबीआई टीम ने गुरुवार तक सीबीआई के स्थानीय ऑफिस से दूरी बनाए रखी। सर्किट हाउस में ठहरे अफसरों ने कैंप ऑफिस, वाहन, सुरक्षा व आवास की मांग राज्य सरकार से ही की है। प्रशासन व पुलिस ने वाहन, सुरक्षा व आवास का इंतजाम कर दिया है, कैंप ऑफिस के लिए ग्रामीण पुलिस लाइन का परिसर भी दिखा दिया है।
पहले भी कोर्ट ने लगाई है फटकार
२२ सितंबर : जांच सीबीआई को क्यों सौंपी? क्या सरकार ने मान लिया है कि उसकी पुलिस नकारा व पक्षपाती है?
11 अक्टूबर : एक महिला के गायब होने की सरकार को चिंता नहीं है, ऐसी कमजोर सरकार इतिहास में कभी नहीं देखी। यदि काम नहीं कर सकते तो छोड़ें और चले जाएं।
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