नई दिल्ली.कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ऑपरेशन कराने के दो महीने बाद भी स्वास्थ्य लाभ ले रही हैं,लेकिन उन्होंने कई संकटों को सुलझाने की जिम्मेदारी सम्भाल ली है। इनमें अंदरूनी लड़ाई और सरकार का संकट शामिल है। गांधी सामने खड़ी चुनावी चुनौतियों के लिए पार्टी में फिर से जान फूंकने की भी कोशिश कर रही है।
गांधी ने अपने करीबी सहयोगियों को हिदायत दे रखी है कि वे 2जी स्पेक्ट्रम और अन्य घोटाले से सम्बंधित अदालती घटनाक्रमों से उन्हें बराबर अवगत कराते रहें।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा,"दशहरे की छुट्टियों के बाद के कुछ सप्ताह महत्वपूर्ण होंगे, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय और अन्य अदालतें केंद्रीय गृह मंत्री पी.चिदम्बरम और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के अन्य नेताओं के खिलाफ मामलों की सुनवाई करेंगी। समझा जाता है कि विपरीत फैसले आने की सूरत में राजनीतिक संकट पैदा होने की स्थिति से निपटने के लिए सोनियाजी ने वैकल्पिक योजनाएं बना रखी है।"
उक्त नेता ने कहा,"अदालती फैसलों और जांच एजेंसियों की पड़तालों के कारण हाल में उठे राजनीतिक तूफानों के बाद पार्टी नेतृत्व बहुत सजग है। जैसे कि ए.राजा और दयानिधि मारन जैसे मंत्रियों के इस्तीफे या फिर सुरेश कलमाड़ी, अमर सिंह और अन्य की गिरफ्तारियां।"
एक अन्य कांग्रेसी नेता के अनुसार,सोनिया के भीतर नई दृढ़ता देखने को मिली है। इस नेता ने पिछले सप्ताह गांधी से मुलाकात की थी।
नेता ने कहा,"वह अभी भी स्थिर व शांत हैं,लेकिन बीमारी के बाद वह अधिक दृढ़ और निर्णायक लगती हैं। यह बात (प्रणब) मुखर्जी और चिदम्बरम के बीच सुलह कराने के उनके दृढ़ कदम में भी दिखाई दी।"
सोनिया ने पार्टी का आंशिक कामकाज ऐसे समय में सम्भाला है,जब विपक्ष ने सरकार पर अपने हमले तेज कर दिए हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आरोप लगाया है कि राजनीति को अस्थिर करने की ताकतें सक्रिय हो गई हैं। दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा है कि सरकार अपने विरोधाभासों के बोझ से ही ध्वस्त हो जाएगी।
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