सांसारिक जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं में डूबा इंसान अनेक अवसरों पर आत्मिक शांति की कमी महसूस करता है। किंतु सांसारिक जिम्मेदारियों से मुंह भी नही मोड़ सकता है। ऐसे में साधारण इंसान की यह कामना होती है कि भौतिक जीवन से जुड़े रहने के साथ वह आत्मिक सुख-शांति भी प्राप्त करें।
हिन्दू धर्म शास्त्रों में आदिशक्ति दुर्गा की उपासना ऐसे ही सुख देने वाली मानी गई है। जगतजननी का महालक्ष्मी स्वरूप न केवल श्री, वैभव व ऐश्वर्य देने वाला होता है, बल्कि ज्ञान व विद्या से सुख-शांति व सफलता भी देने वाला माना गया है।
महालक्ष्मी की उपासना के लिए हिन्दू धर्म शास्त्रों में शारदीय पूर्णिमा का बहुत महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यता है कि इस तिथि पर चंद्रमा की पूर्ण कलाओं सेे प्रकाशित शीतल रात्रि में देवी लक्ष्मी जगत का भ्रमण कर स्वयं तन, मन व विचारों की दरिद्रता दूर करने का वर प्रदान करती है।
शास्त्रों में श्री विद्या के तहत बताई शिव की महाशक्ति त्रिपुरसुंदरि के मंत्र विशेष का शरद पूर्णिमा की रात्रि में स्मरण जीवन में लक्ष्मी कृपा देने वाला माना गया है। जानते हैं यह मंत्र -
- शरद पूर्णिमा की रात्रि यथासंभव महालक्ष्मी की प्रतिमा की लाल सामग्रियों जैसे लाल चंदन, लाल पुष्प, लाल वस्त्र, अनार के फल का भोग, धूप व गो घृत दीप प्रज्जवलित कर पंचोपचार पूजा के बाद इस देवी मंत्र का स्मरण करें व महालक्ष्मी की आरती करे-
शरदज्योत्सना शुद्धां शशियुत जटासूटमकुटाम्
वरत्रासत्राणस्फटिक घटिका पुस्तककराम्।
सकृत त्वां नत्वा कथमिव सतां संमधिते
मधुक्षीर द्राक्षामधुरिणा: फणितय:।।
अर्थ के मुताबिक शारदीय पूर्णिमा के चंद्रमा के प्रकाश की तरह श्वेत व तेजस्वी मुखमण्डल, दूज के चांद की तरह जटाजूट मुकुट, स्फटिक माला पहनने वाली, वरमुद्रा, अभयमुद्राधारी व पुस्तक लिए भुजाओं वाली देवी के ऐसे अद्भुत स्वरूप का ध्यान मात्र इंसान के समस्त विकार, दोष, दरिद्रता का अंत कर सुख-समृद्ध व वैभव संपन्न कर देता है
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
11 अक्तूबर 2011
आज शरद पूर्णिमा - लक्ष्मी को बुलावा है यह देवी मंत्र
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