भट्ट को इस जेल में 10 नंबर की सेल में रखा गया है। इसके अलावा खुद भट्ट ने जेल में किसी वीआईपी सुविधा लेने से मना कर दिया, इस बात से जेल अधिकारी भी आश्चर्यचकित रह गए। बताया जाता है कि पिछले तीन दिनों से संजीव भट्ट ज्यादा बातचीत नहीं कर रहे हैं। अधिकतर समय वे अपने आप में ही खोए-खोए से रहते हैं।
दरअसल कैदियों का भट्ट के प्रति यह स्नेह इसलिए है कि जब वे साबरमती जेल के इंजार्च थे, तब उन्होंने कैदियों के उत्थान के लिए कई सराहनीय कार्य किए थे। कैदियों के अनुसार भट्ट हरेक कैदी से पूरी सहानुभूति के साथ मिलते और बात किया करते थे। भट्ट के प्रति कैदियों के प्रेम का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब उनका यहां से स्थानांतरण किया गया था तो सारे कैदी हड़ताल पर बैठ गए थे और उनके स्थानांतरण को रोकने के लिए कैदियों ने गुजरात हाईकोर्ट से निवेदन भी किया था।
उल्लेखनीय है कि भट्ट को 30 सितंबर को गुजरात की घाटलोडिया पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पुलिस ने भट्ट को सरकारी कर्मचारी को धमकाने, गलत सुबूत पेश करने तथा अवैध रूप से उन्हें कैद में रखने के (भारतीय दंड संहिता की धारा 341, 342 व 195) आरोपों के तहत गिरफ्तार किया है।
पुलिस कर्मचारी के.डी.पंत ने भट्ट पर आरोप लगाया था कि भट्ट ने उन्हें धमकी देते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से मुख्यमंत्री निवास पर 27 फरवरी 2002 को बुलाई गई बैठक में उपस्थिति को लेकर जबरन शपथपत्र तैयार करवाया था।
पंत ने यह शिकायत गत जून माह में दर्ज कराई थी। पंत गुजरात दंगों के दौरान राज्य खुफिया विभाग (एसआईबी) में पुलिस उपायुक्त के तौर पर कार्यरत भट्ट के अधीनस्थ कर्मचारी थे।
हालांकि भट्ट ने अदालत में जमानत याचिका दायर की थी। मंगलवार को अदालत ने उनकी याचिका पर सुनवाई आगामी 7 अक्टूबर तक के लिए मुल्तवी कर दी है। मसलन भट्ट को अब 7 अक्टूबर तक जेल में ही रहना होगा।
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