जहाजपुर/भीलवाड़ा/कोटा.कभी सिसकियों तो कभी तेज क्रंदन से एक मोहल्ला पूरी रात सो नहीं पाया। सुबह होते ही तो जैसे नगर की हर सड़क शोक में डूबी थी। हर आंख नम थी और मन से कोस रहे थे काल के ऐसे फरमान को। आखिर इन आंखों के सामने से एक साथ नौ अर्थियों जो गुजर रही थीं।
लोगों ने ऐसा पहले कभी न देखा था। दो ट्रैक्टर और उनमें एक ही परिवार के नौ सदस्य अंतिम यात्रा को जा रहे थे। यात्रा खुद ब खुद हादसे की क्रूर कहानी बयां कर रही थी। शव इतने क्षत-विक्षत हो गए थे कि उन्हें अस्पताल से जिन ट्रेक्टरों में घर तक लाया गया, उन्हीं में अंतिम संस्कार के लिए ले जाना पड़ा।
शुक्रवार रात बिंध्याभाटा से बोरानी के बीच हुई सड़क दुर्घटना में 13 जनों की दर्दनाक मौत हो गई थी। इनमें से तीन बच्चों व छह महिलाओं सहित नौ जने नगर के घोषी परिवार के थे।
शनिवार सुबह जिस भी राह से यह शवयात्रा गुजरी हर कोई भीगी आंखों से श्रद्धांजलि दे रहा था। दिन भर पूरा कस्बा इसी हादसे की चर्चा और शोक में डूबा रहा। नागदी नदी के किनारे सामूहिक अंत्येष्टि की गई।
तीन चिताओं पर जले शव
सभी नौ शवों को तीन चिताओं पर रख कर मुखाग्नि दी गई। एक चिता पर पांच, दूसरी पर तीन तथा तीसरी पर एक शव का अंतिम संस्कार किया गया।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
09 अक्तूबर 2011
ऐसे चला सिसकियों का दौर कि नहीं सो पाया पूरा मोहल्ला
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