तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
12 अक्तूबर 2011
प्रशांत भूषण पर हमला सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था का मजाक
आज दिल्ली सुप्रीमकोर्ट में वकीलों के चेम्बर में घुसकर तीन शरारती तत्वों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के वकील और अन्ना टीम के सदस्य पर जो हमला क्या गया है उससे वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का तो मजाक उड़ा ही है साथ ही सुप्र्मिम कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था की खामिया एक बार फिर उजागर हो गयी हैं ..........आपको याद है के अभी एक हफ्ते पहले केन्द्रीय गृहमंत्री पी चिदम्बरम और कानून मंत्री सलमान खुर्शीद सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा को लेकर मुक्ख्य न्यायधीश से मिले थे उसके बाद सुरक्षा व्यस्था और चाक चोबंद होने के बदले वहां शरारती तत्वों का जमावड़ा हो गया है और नतीजा एक बढ़ी दुर्घटना के रूप में सामने है .......दोस्तों यह हमला प्रशांत भूषण पर नहीं देश के उन सभी स्वतंत्र विचार वालों पर है जिनकी आवाज़ आतंकवादियों द्वारा दबाने का प्रयास किया जाता है ....निश्चित तोर पर इन अपराधियों से अगर निष्पक्ष तफ्तीश की गयी तो बाद दूसरी ही निकलेगी यह किसी दूसरी ताकत की शरारत है और वोह किसी भी सूरत में कश्मीर के बयान पर हमला करने वाले नहीं हो सकते लेकिन एक विशेष व्यस्था के तहत कुछ लोगों द्वारा सुपारी देकर इन युवकों से यह काम करवाया गया लगता है निश्चित तोर पर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के सुरक्षा गार्ड भी शामिल निकलेंगे क्योंकि सुप्रीमकोर्ट जहां बिना पास और जाँच के कोई परिंदा पर नहीं मार सकता वहां यह हादसा अगर सम्भव है तो फिर कोई भी आतंकवादी हमला इस चुक के कारण हो सकता है ,,खेर लोकतंत्र में अपनी बात कहना पीटना पिटाना यह कोई नई बात नहीं है ..देश के लाखों लोग महाराष्ट्र में क्षेत्रवाद के नाम पर रोज़ पिट रहे हैं ..दक्षिण में भाषा के नाम पर पिटाई हो रही है तो कश्मीर में आतंकवाद के नाम पर पिटाई हो रही है लेकिन इस सिस्टम में जो कुछ भी इस तरह से हो रहा है वोह ना काबिले बर्दाश्त इसलियें है के हमलों की राजनीति अगर चली तो बात दूर तलक जाएगी यह आतंकवाद पैदा करने की दिशा में एक पहला कदम है और इसे रोकना होगा जो लोग इस घटना में शामिल है उनकी पूरी तहकीकात के साथ उनके मोबाइल नम्बरों की कोल डिटेल निकलवाकर उस पर भी ग़ोर करना चाहिए ,सुप्रीमकोर्ट में यह लोग किसके पास से अन्दर घुसे यह भी एक जांच का विषय है दुःख यह नहीं के प्रशांत भूषण पिटे दुःख यह भी नहीं के हमलावर भाग गये और एक हमलावर भी पिता लेकिन यह नफरत और यह चालबाजिया जिसकी हैं उन चेहरों को अगर पुलिस तफ्तीश में उजागर नहीं किया तो फिर तो बस देश का बंटाधार ही है .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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