आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

24 अक्तूबर 2011

फर्क ज़िंदा और मुर्दा कोम के बीच का ...........

जी हाँ दोस्तों देश में जो सांस ले रहा है वोह ज़िंदा है और जो सिसकियाँ ले रहा है वोह मुर्दा है और शायद देश में इन दिनों मुर्दा और ज़िंदा कोमों के बीच का यही फासला है ....में बात कर रहा हूँ उन कोमों की जो अपने माज्नों और बढ़े नेताओं की गुलामी करने की आदत की वजह से आज मुर्दों से भी बदतर हालत में है जबकि जिसने भी अंगडाई ली आज वोह स्थापित नेता स्थापित कोम के रूप में झंडा गाड़े हुए है ....दोस्तों राजस्थान में आपने पहले और अभी गुर्जरों की एकता उनकी मांगों के समर्थन में उनका आन्दोलन उनकी ताकत देखी और इस पिछड़ी कोम की पिछड़ों से विशेष जाती के दर्जे की मांग ने इन्हें विश्व भर में एक नई पहचान दी और यह आज ज़िंदा कोमों में गिनी जाने लगी है ..........हाल ही में जाट नेता महिपाल जी पर आरोप लगे आरोप क्या गंभीर आरोप लगे उन्हें कोंग्रेस ने मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया लेकिन उनकी कोम उनके नेता चुप नहीं बेठे उनकी कोम के लोग उनके हाथ गहलोत और चन्द्रभान के गिरेबान तक पहुंच गये यहाँ तक के डोक्टर हरिसिंह सहित कई लोगों ने खुद की कोम ज़िंदा रखने के लियें पदों को ठुकरा कर इस्तीफे देकर क़ुरबानी दी और कोम को जिंदा रखा जाट नेताओं की इसी ताकत की वजह से आज यह कोम भी हमारे राजस्थान में ज़िंदा लोगों में गिनी जाने लगी है .हम बात कर रहे हैं किरोड़ी मीना की जिसने अपनी पत्नी को कोंग्रेस मंत्री मंडल में मंत्री बनवाया ..राजस्थान में सरकार बनवाई और कई बार डंके की चोट पर आंदोलनों के नाम पर उनकी मंत्री पत्नी ने कोम के खातिर सरकार के खिलाफ बिगुल बजाया इन कोमों के प्रतिनिधियों को जब जब भी कोम जाती समाज और सरकार की सुक्ख सुविधाओं में से एक चीज़ चुनने का विकल्प मिला तब तब इन कोमों के नेताओं ने केवल कोम को ही चुना और आज इसीलियें यह कोमें गर्व से सर ऊँचा कर जी रही हैं ........अब में बात कर रहा हूँ लुटी पिटी दबी कुचली मुस्लिम कोम की जिसके नेता सरकार के तलवे चाट रहे हैं रोज़ हाजरी बजाकर कुछ ना कुछ प्राप्त करने के षड्यंत्रों में कोम को बेच रहे हैं ..जी हाँ .कोंग्रेस के मंत्री अमीन खान को राजस्थान के मंत्रिमंडल से हटाया गया किसी कोंग्रेस के नेता ने कोई भी एतराज़ नहीं जताया कोई आन्दोलन कोई प्रदर्शन नहीं हुआ .राजस्थान में हज कमेटी ..मदरसा बोर्ड...मेवात बोर्ड ...वित्त विकास निगम अल्पसंख्यक आयोग ..पन्द्रह सूत्रीय क्रिवान्वयं सहित कई इदारे ऐसे हैं जो राजस्थान सरकार ने नहीं बनाये लेकिन तीन वर्षों में कोंग्रेस में कोम का एक भी ऐसा मुजाहिद पैदा नहीं हुआ जो सरकार को खुद और खुदकी कोम के जिंदा होने का एहसास दिलाता ..गोपाल गढ़ का एकतरफा सरकारी नरसंहार तो सभी जानते हैं उसके बाद सरकार की दिलेरी चोरी और सीना जोरी की बयानबाजी भी आप जानते हैं लेकिन क्या राजस्थान में कोई कोंग्रेस या दूसरी पार्टी का ऐसा मुस्लिम ज़िंदा नेता था जो इस मामले में आवाज़ उठता यहा सोलह विधायक दो सांसद कई पूर्व सांसद सभी पार्टियों के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ है लेकिन इसके खिलाफ उलटे कोंग्रेसी चमचों ने सकरार को बचाने के लियें कुछ दाड़ी वाले जर खरीद मोलानाओं को राहुल गान्धी के पास भेजा और सरकार के नरसंहार को जायज़ ठराया है लेकिन दोस्तों कोम ज़िंदा हो या मुर्दा कोई फर्क नहीं पढ़ता बस एक दिन कोई देखे ना देख अल्लाह खुदा देख रहा है वाली कहावत चरितार्थ होती है और जब उसकी लाठी चलती है तो आवाज़ तो नहीं होती लेकिन सजा ऐसी मिलती है के अपराधी ना मरने जेसा होता है और ना ही जीने जेसा रह सकता है ..तो जनाब कोंग्रेसे की सरकार में मुर्दा मुस्लिम कोंग्रेसियों की खामोशी पर उन्हें सलाम ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...