नई दिल्ली।शान-ए-दिल्ली के अंर्तगत हम आपको राजधानी दिल्ली की धरोहरों से रू-ब-रू कराएंगे। इसकी शुरूआत हम आज हुमायूं के मकबरे से कर रहे हैं। चलिए जानते हैं हुमायूं के मकबरे के बारे में।
हुमायूं का मकबरा इमारत नई दिल्ली के निजामुददीन इलाके में स्थित है। इस इमारत में हुमायूं की क्रब सहित कई अन्य राजसी लोगों की भी कब्रें हैं। यह मकबरा हुमायूं की विधवा बेगम हमीदा बानो बेगम के आदेशानुसार 1562 में बना था। इस इमारत को बनने में लगभग आठ साल का समय लगा था।
इस इमारत को बनाने के लिए अफगानिस्तान से सैयद मुबारक इब्न मिराक घियाशुददीन एवं उसने पिता मिराक घुइयाशुददीन को बुलवाया गया था। इसके निर्माण के लिए लाल बलुआ पत्थर और संगमर्मर का उपयोग किया गया है।
दिलचस्प कहानी:
हूमायूं नाम का अर्थ भाग्यशाली होता है। लेकिन हूमांयू वास्तव में अपनी जिंदगी में दुर्भाग्यशाली रहे। अपने पिता बाबर की मौत के बाद हुमायूं ने 1530 में भारत की राजगद्दी संभाली । लेकिन बाद में उन्हें शेरशाह सूरी से हार मिली। इसके 10 साल बाद ईरान की मदद से वे अपना शासन दोबारा पा सके।
26 जनवरी सन् 1556 में हुमायूं जब अपने पुस्तकालय से किताबें लेकर सीढ़ी से नीचे उतर रहे थे। उसी दौरान उनका पैर फिसल गया। जिससे उन्हें गंभीर चोंटे भी आईं। इसके ठीक तीन दिन बाद हुमांयू का इंतकाल हो गया। और इस तरह एक भाग्यशाली बादशाह का दुर्भाग्यशाली अंत हुआ।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
21 अक्तूबर 2011
..एक भाग्यशाली बादशाह की दुर्भाग्यशाली दास्तान...
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