आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

21 अक्तूबर 2011

मेरा बेटा जांबाज था, बंदूक होती तो उनको ढेर कर देता


भोपाल।सिले होंठ, पथराई आंखें और हाथों में शहीद बेटे की तस्वीर। इस बूढ़ी मां का दिल नहीं मानता कि उसका लाल अब इस दुनिया में नहीं है। वहीं पास ही, अपनी सूनी कलाई देखती एक शहीद की पत्नी सारी उम्र पति की यादों के सहारे जीने को तैयार है। इन सबके बीच एक नन्हा मासूम भी है, जिसे नहीं पता कि जिस तस्वीर को वह निहार रहा है, वो उसके पिता की है। शहीद दिवस पर शुक्रवार को राजधानी में कई रणबांकुरों के परिजन जुटे और खो गए उन्हीं की यादों में..

हमारी शादी को साढ़े तीन माह ही हुए थे। 24 घंटे पहले ही वो मुझसे मिलकर गए थे। अगले दिन खबर आई कि नक्सलियों ने उन्हें गोली मार दी। 22 सितंबर 2010 को बालाघाट जिले के बहेला में नक्सलियों की गोली का शिकार हुए हॉक फोर्स के जवान हरिशचंद्र राहंगडाले की पत्नी सीमा ने जब शहीदों की तस्वीरों के बीच अपने पति की तस्वीर देखी तो फफक कर रो पड़ीं। सीमा कहती हैं, अब तो बस उनकी यादों के सहारे ही जिंदगी काटनी है।

3 जून को रतलाम में सिमी आतंकियों की गोली का शिकार हुए एटीएस के जवान शिवप्रताप सिंह की मां सियादुलारी को अब भी इस बात की टीस है, कि उनका बेटा आतंकियों पर एक भी गोली नहीं दाग पाया। ग्वालियर की रहने वाली सियादुलारी कहती हैं, मेरा बेटा जांबाज था, यदि उस वक्त उसके पास बंदूक होती तो वो आतंकियों को वहीं ढेर कर देता। शहीदों के परिजनों का ये दर्द शुक्रवार को लाल परेड मैदान पर आयोजित शहीद दिवस कार्यक्रम में उभरकर आया। शहीद शिवप्रताप के डेढ़ साल के बेटे कृष्णा को ये भी नहीं मालूम कि दादी और मम्मी यहां क्यों आई हैं? शहीदों की तस्वीरों के बीच टंगी अपने पापा की फोटो पर हाथ फेरते हुए कृष्णा ने जैसे ही मां ममता की आंखों में झांका तो उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। सिसकियों के बीच वो नन्हे कृष्णा से सिर्फ इतना बोलीं, बेटा ये तुम्हारे पापा हैं। नाती को ऐसे देखकर दादी सियादुलारी भी अपने आप को रोक न सकीं और उनकी आंखों से भी आंसू छलक पड़े। वो कहती हैं कि शिवप्रताप मेरा इकलौता बेटा था। जांबाज था, बस दुख इस बात का है कि वह आतंकियों पर गोली नहीं दाग पाया। अभी उसकी शादी को दो साल ही हुए थे, किसे पता था कि ऐसा हो जाएगा। पति की मौत के बाद ममता को पुलिस की नौकरी मिली है। कार्यक्रम में बीते साल भर में शहीद हुए 12 में से 10 जवानों के परिजन मौजूद रहे। इस मौके पर लोकायुक्त पीपी नावलेकर, गृह राज्य मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा, मुख्य सचिव अवनि वैश्य, अपर मुख्य सचिव गृह अशोक दास सहित तमाम पुलिस अफसरों ने शहीद स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इससे पहले देश भर के शहीदों की नामावली का वाचन किया गया।

दूसरे बेटे को भी देशसेवा के लिए भेजना चाहता हूं

शहीद हरिश्चंद्र के पिता घनश्याम कहते हैं कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है। उसकी जान देश की सेवा करते हुए गई। एक बेटा और है, उसे भी देश सेवा के लिए भेजना चाहता हूं। घनश्याम ने अपनी ये इच्छा राज्यपाल रामनरेश यादव के सामने भी जाहिर की।

नहीं मिल रही पेंशन, कैसे करूं इन बच्चों की परवरिश

भिंड में 26वीं वाहिनी में पदस्थ चंद्रप्रकाश बर्वे की 23 मई को ड्यूटी के दौरान एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी। पत्नी वीणा कहती हैं कि सरकार ने वर्ष 2004 के बाद की नौकरी वालों को पेंशन देने से मना कर दिया है। अपने बेटों उत्साह (2 वर्ष) और उत्कर्ष (1 वर्ष) को गोद में लिए वो कहती हैं, ऐसे में इन बच्चों की परवरिश कैसे होगी? उन्होंने अपनी पीड़ा राज्यपाल रामनरेश यादव को भी सुनाई। इस पर एडीजी सुरेंद्र सिंह ने उन्हें भरोसा दिलाया कि इस मामले में शासन को पत्र लिखा गया है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...