आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

28 अक्तूबर 2011

शुरू हुआ रफ़्तार का रोमांच





नई दिल्ली.तीन सौ किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली फ़ॉर्मूला-वन कार की सवारी के लिए ये जरूरी नहीं कि आप माइकल शुमाकर या लुइस हैमिल्टन हों। रफ्तार का शौक रखने वाला कोई भी व्यक्ति अब फ़ॉर्मूला वन कार चला सकेगा। इसकी तैयारी चल रही है ग्रेटर नोएडा के रेसिंग सर्किट पर। बस, इसके लिए वहां ट्रेनिंग दी जाएगी। और थोड़ी कीमत चुकानी होगी।

ग्रेटर नोएडा के बुद्ध सर्किट पर 30 अक्टूबर को होने जा रही भारत की पहली फ़ॉर्मूला-वन ग्रां-प्री के बाद आम लोगों को भी तेज रफ्तार कारों की सवारी का मौका मिलेगा। जो इस खेल की बारीकी और चुनौती को करीब से जानना चाहते हैं,उन्हें यहां मर्सेडीज के साथ मिलकर अगले साल जनवरी में शुरू की जा रही कार रेसिंग अकादमी में ट्रेनिंग दी जाएगी।

5.14 किमी का सर्किट बनाने वाली जेपी स्पोर्ट्स कंपनी रेसिंग को लोकप्रिय बनाने के लिए फ़ॉर्मूला-वन कारें खरीदने जा रही हैं। कंपनी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (कॉपरेरेट कम्युनिकेशन) अस्करी जैदी के अनुसार हम इस खेल को आम लोगों की पहुंच तक लाना चाहते हैं। योजना है कि इन कारों को किराए पर दिया जाए ताकि कार रेसिंग के शौकीन सर्किट का मजा ले सकें।

रेस के बाद कई रेस और आयोजन :फ़ॉर्मूला-वन ग्रां-प्री के बाद भी बुद्ध सर्किट बहुत व्यस्त रहेगा। जैदी के मुताबिक सालभर में यहां कई और महत्वपूर्ण रेस होंगी, जिनमें बाइक रेसिंग से जुड़ी मोटो-जीपी, स्पोर्ट्स कार रेसिंग और फ़ॉर्मूला वन कारों की और रेस शामिल हैं। ऐसी करीब दस रेस के अलावा जेपी स्पोर्ट्स को बॉलीवुड से कुछ फिल्मों की शूटिंग के भी प्रस्ताव मिले हैं।

आसान नहीं रफ्तार का तनाव सहना

ड्राइवर का दिल दो घंटे की रेस के दौरान एक मिनट में 180 बार धड़कता है। सामान्य दिल की धड़कन 72 प्रति मिनट।

ड्राइवर के बैठने की जगह कॉकपिट में रेस के दौरान तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। जबकि शरीर का सामान्य तापमान 36 डिग्री होता है।
ऐसे में रेस खत्म होने तक पसीने की वजह से ड्राइवर का वजन 3 किलो तक कम हो जाता है।
रेस के दौरान ड्राइवर पर उसके शरीर के वजन से पांच गुना गुरुत्वाकर्षण दबाव होता है। यानी सौ किलो वजनी ड्राइवर पर 500 किलो का दबाव। इसके अलावा ड्राइवर को पूरे समय वॉकी-टाकी पर टीम कंट्रोल रूप से मिल रहे रणनीति और ओवरटेकिंग के संदेशों को भी सुनना होता है।
रेस की परिस्थितियां,यदि किसी आम आदमी पर डाल दी जाएं तो उसका जीवित बचना मुश्किल है।
नारायण कार्तिकेयन,फ़ॉर्मूला-वन कार ड्राइवर

किराए पर रेसिंग कारें

जेपी स्पोर्ट्स कंपनी फ़ॉर्मूला-वन, स्पोर्ट्स कार और सुपरबाइक खरीदेगी।
इन्हें सेपांग (मलेशिया) सर्किट के पैटर्न पर किराए पर दिया जाएगा।
वहां 4600 रु. प्रति घंटा की दर से फॉमरूला-वन कार दी जा रही है।
कार का हर पुर्जा खास
टायर,रबर ऐसा जो घर्षण की वजह से पैदा होने वाले 160 डिग्री के तापमान को बर्दाश्त कर सके।
कॉकपिट,बनावट ऐसी जिसमें से ड्राइवर पांच सेकंड में स्टीयरिंग व्हील हटाकर बाहर आ सके और नया स्टीयरिंग व्हील पांच सेकंड में लगाया जा सके।
कार की कीमत 1.1 करोड़ रु
इंजन, 2.4 लीटर क्षमता वाले आठ सिलेंडर का।
..ताकि ड्राइवर घायल न हो
ड्रेस,खास ड्यूपॉन्ट नॉमेक्स फाइबर से बनी होगी,जो 11 सेकंड तक 840 डिग्री तापमान बर्दाश्त कर सके।
हेलमेट,बारीक फाइबर से बना,जिसे सीधा किया जाए तो लंबाई 16 हजार किमी होगी।
सुरक्षा,दो एम्बुलेंस और एक हेलिकॉप्टर डॉक्टर की टीम के साथ मौजूद रहेंगे।
ऐसे सीख सकेंगे स्पोर्ट्स कार चलाना
अकादमी में दो कोर्स होंगे। इमोशनल कोर्स में बताया जाएगा,स्पोर्ट्स कार कैसे चलाई जाती है।
फिर बेसिक कोर्स में रेसिंग की बारीकियां बताई जाएंगी। ट्रेनिंग पहले सिम्युलेटर, फिर स्पोर्ट्स कार और आखिर में फॉमरूला वन कार पर दी जाएगी। अकादमी में विदेशी कार रेसिंग विशेषज्ञ ट्रेनिंग देंगे।
ऐसा है भारत का पहला एफ 1 सर्किट
जेपी समूह द्वारा निर्मित बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट दुनिया का 19वां,एशिया का 8वां और भारत का पहला फामरूला वन सर्किट है। यह ट्रैक इस सीजन की 17 वीं ग्रां प्री रेस का गवाह बनेगा। 28 से 30 अक्टूबर तक प्रैक्टिस,क्वालीफाइंग और फाइनल रेस होगी। रफ्तार की इस जंग को अंजाम तक पहुंचाने का सफर काफी चुनौतीपूर्ण होता है। रेस से जुड़ी कारें और अन्य उपकरण सर्किट तक पहुंचाना आसान नहीं होता। सारा सामान हवाई और समुद्री रास्ते से लाया जाता है।
नियमों के लिहाज से एफ 1 मोटर रेसिंग की सबसे कठिन रेस है। इसकी तैयारी सिर्फ ड्राइवर के लिए ही नहीं टीम के अन्य सदस्यों के लिए भी खासी कवायद भरी होती है। ट्रैक पर दौड़ती कार को दिशा-निर्देश देने में सेकंडों की चूक ड्राइवर को कई किमी.पीछे छोड़ सकती है। यही वजह है कि दुनिया भर के दिग्गज एफ 1 ड्राइवरों को एक-दूसरे से रफ्तार की होड़ करते देखना यादगार अनुभव होता है। इस मौके को और भी यादगार बनाने के लिए लेडी गागा का कार्यक्रम भी रखा गया है। हालांकि वे समापन समारोह में शिरकत करेंगी। इस अमेरिकी पॉप सेंसेशन की यह पहली भारत यात्रा है।
शुरुआती दो दिन लोकप्रिय डीजे रोजर सांचेज, जर्मनी के डीजे टॉम नेवी अपनी अंगुलियों का जादू बिखेरेंगे। बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट दुनिया का एकमात्र एफ 1 ट्रैक है, जो एक क्रिकेट स्टेडियम के निकट बना है। क्रिकेट स्टेडियम से होने वाली आय से एफ 1 सर्किट की देखभाल की जाएगी। 875 एकड़ में फैले इस सर्किट के साथ गोल्फ कोर्स और हॉकी स्टेडियम भी बनेंगे। आने वाले वर्षो में यहीं रेसिडेंशियल और कॉमर्शियल कांप्लेक्स भी बनाए जाएंगे। यही सब बातें बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट को खास बनाती हैं।
एक सीजन में कितनी रेस
1950 में वर्ल्ड चैंपियनशिप के आधुनिक संस्करण की शुरुआत में सिर्फ 7 रेस वर्ष में हुईं। अब इनकी संख्या लगभग तीन गुनी हो गई है। 1980 के दशक में एक सीजन में कुल रेसों की संख्या 16-17 के आसपास रही। 2005 और 10 में 19 रेस हुईं। इस वर्ष 20 रेस होतीं, लेकिन बहरीन ग्रां प्री के रद होने से 19 होंगी। 2012 और 2014 में अमेरिका और रूस के आ जुड़ने से रेसों की संख्या और बढ़ेगी।
रेस के लिए हर साल डेढ़ लाख किमी.का सफर
ये है रेस का सारा साज-ओ-सामान
एफ 1 रेस से जुड़ा साज-ओ-सामान जुटाना भी चुनौतीपूर्ण है। इसके लिए फामरूला वन का अपना अलग लॉजिस्टिक पार्टनर है। प्रत्येक टीम साल भर में अलग-अलग रेस के सिलसिले में डेढ़ लाख किमी की यात्रा करती है। जानते हैं कि आंकड़ें इसके बारे में क्या कहते हैं..
600 टन : 24 कारों और रेस के अन्य उपकरणों का भार। इसे 5 बोइंग विमानों के जरिए लाएंगे। 900 टन : साज-ओ-सामान जो समुद्री रास्ते लाया जा रहा है। 150 करोड़ रुपए : कुल मूल्य है साज-ओ-सामान का। 30,000 लीटर : हाई क्वालिटी पेट्रोल समुद्री रास्ते से आ रहा है। 10 घंटे : लगेंगे विमान से सामान उतारने, फिर ट्रैलर पर चढ़ाने और अंतत: ट्रैक तक लाने में।
स्टेडियम की कीमत
40 करोड़ अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 19.66 अरब रुपए। टिकट की कीमत : 2,500 से लेकर 35,000 रुपए तक। कापरेरेट बॉक्स : 35 लाख से लेकर एक करोड़ रुपए तक। अनुमानित आय : सिर्फ टिकटों की बिक्री से 3.7 अरब से 7.37 अरब रुपए तक। विज्ञापन, प्रायोजक और प्रसारण अधिकार की आय अलग। रेस से जुड़े समारोह के भी टिकट। दर्शक क्षमता : डेढ़ लाख।
प्रैक्टिस और क्वालीफाइंग राउंड
सभी एफ 1 ड्राइवर (कुल 26 कारें) शुक्रवार (28 अक्टूबर) को डेढ़ घंटे के दो-दो प्रैक्टिस सेशन में भाग लेंगे। शनिवार (29 अक्टूबर) सुबह घंटे भर का एक और प्रैक्टिस सेशन होगा। फिर दोपहर में एक घंटे का क्वालीफाई सेशन होगा। पहला क्वालीफाइंग राउंड : 26 कारें पहले घंटे के शुरुआती 20 मिनट दौड़ेंगी। धीमी रही 8 कारें ग्रिड के अंतिम आठ स्थानों पर रहेंगी। ग्रिड वह जगह है, जहां से रेस शुरू होगी। दूसरा क्वालीफाइंग राउंड : पहले राउंड के 7 मिनट बाद शेष 18 कारें 15 मिनट और दौड़ेंगी। सबसे धीमी रहीं 8 कारों को ग्रिड के 11 से 18 स्थानों पर पोजीशन दी जाएगी। तीसरा क्वालीफाइंग राउंड : 8 मिनट के ब्रेक के बाद अंतिम 10 मिनट के सेशन में तय होगी शीर्ष दस स्थानों के लिए कारों की स्थिति।
फाइनल रेस
ट्रैक के एक चक्कर की फॉर्मेशन लैप(वार्मअप चरण) के दौरान ओवरटेकिंग की मनाही है। इसके बाद सभी कारें अपनी-अपनी पोजीशन पर पहुंच जाएंगी और फिर शुरू होगी फाइनल रेस।
झंडे और उनके मायने
रेस के दौरान मार्शल झंडों के जरिए ड्राइवर के संपर्क में रहेंगे। लगभग 300 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पर ड्राइवर के लिए मार्शल और झंडे को देख पाना असंभव होगा। इसलिए ये झंडे ड्राइवर की कॉकपिट में भी डिस्प्ले होंगे।
जानते हैं झंडों के मायने..
चैक वाला झंडा : सेशन की समाप्ति का संकेत।
पीला झंडा : खतरे का संकेत। हरा झंडा : पीले झंडे का प्रतिबंध हटा। लाल झंडा : दुर्घटना या खराब ट्रैक के कारण रेस रोकी गई। नीला झंडा : दूसरों से एक लैप पीछे रही कार अन्य कारों को रास्ता दे। पीला और लाल धारी वाला झंडा : फिसलन भरे ट्रैक का संकेत। नारंगी गोले वाला काला झंडा : कार में तकनीकी खराबी। ड्राइवर पिट पर लौटे। आधा काला और सफेद झंडा : चेतावनी। अनदेखी पर रेस से बाहर। काला झंडा : कार रेस से बाहर। सफेद झंडा : ट्रैक पर धीमे वाहन की चेतावनी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...