इस्लामाबाद. पाकिस्तान में घुस कर आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की अमेरिकी धमकी से पाकिस्तान की अवाम में गुस्सा बढ़ रहा है। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की धमकी ने आग में घी का काम किया है। ओबामा ने कहा है कि पाकिस्तान को हक्कानी नेटवर्क की समस्या का हल जरूर ढूंढना चाहिए। अमेरिकी राष्ट्रपति ने हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई और इससे जुड़े मसलों पर बातचीत ने अपना दूत पाकिस्तान भेजने की तैयारी की है।
ओबामा ने कहा कि पाकिस्तानी अधिकारियों के आतंकवादियों के साथ संबंधों के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है लेकिन चाहे पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क से सक्रिय तौर पर जुड़ा हुआ है या वो सिर्फ उन्हें अफगानिस्तान की सीमा से सटे इलाकों में ऑपरेशन में मदद कर रहा है, दोनों ही हालत में पाकिस्तान को कार्रवाई करने की जरूरत है।
हालांकि पाकिस्तान के हुक्मरानों ने अमेरिका के इन आरोपों को सिरे से नकार दिया है कि पाकिस्तान की सरकार आतंकवादियों को शरण देती है। इसके बाद शुक्रवार को पाकिस्तान के कई शहरों में अमेरिका विरोधी प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी झंडे जलाए और अमेरिकी प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।
हक्कानी नेटवर्क को लेकर उठे विवाद को शांत करने के लिए अमेरिका अफगानिस्तान और पाकिस्तान मामलों के विशेष प्रतिनिधि मार्क ग्रॉसमैन को इस्लामाबाद भेज रहा है। ग्रॉसमैन का दौरा 30 सितंबर से शुरू हो गया जो 14 अक्टूबर तक जारी रहेगा। इस दौरान ग्रॉसमैन अबु धाबी, अंकारा, दुशांबे, बिश्केक, अस्ताना, काबुल, बीजिंग, ताशकंद, अशगाबाद, नई दिल्ली, इस्लामाबाद और दोहा पहुंचेंगे।
ओबामा का ताजा बयान अमेरिकी सेना के सेवानिवृत प्रमुख माइक मुलेन के बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि हक्कानी नेटवर्क पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का ही एक हिस्सा है। हालांकि अपने बयान से अमेरिका और पाकिस्तान के बीच तनाव पैदा करने वाले मुलेन के सुर बाद में बदले नजर आए। अपने पद से रिटायर होने के वक्त मुलेन ने यह कह दिया कि अफगानिस्तान में शांति पाकिस्तान के सहयोग के बिना संभव नहीं है।
इस बीच, पाकिस्तानी मीडिया ने अमेरिका को ‘कन्फ्यूज्ड’ करार दिया है। ओबामा के ताजा बयान का जिक्र करते हुए ‘द नेशन’ ने लिखा है कि अमेरिका पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ जंग में ‘और भी’ कार्रवाई करने के लिए दबाव डालता रहेगा। गौरतलब है कि आतंकी गुटों पर कार्रवाई के लिए बढ़ते अमेरिकी दबाव के बीच पाकिस्तानी पीएम युसुफ रजा गिलानी ने कहा है कि वो आतंकवादियों के खिलाफ इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सकते और न ही कोई उनपर ऐसा करने के लिए दबाव भी डाल सकता है। इस्लामाबाद में गुरुवार को हुई सर्वदलीय बैठक में गिलानी ने कहा, 'और ज्यादा करने के लिए पाकिस्तान पर दबाव नहीं बनाया जा सकता।'
अमेरिकी राष्ट्रपति ने शुक्रवार को एक रेडियो चैनल को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि अमेरिका पाकिस्तान पर उसके सीमावर्ती इलाकों में आतंकवादियों के खिलाफ और कार्रवाई करने के लिए दबाव डालता रहेगा और पाकिस्तान के साथ खुफिया सहयोग भी बनाए रखेगा। अमेरिका पाकिस्तान से उन आतंकवादियों को मांगेगा जो उसकी जमीन पर पकड़े जाएंगे। ओबामा ने कहा, ‘हम इस बात पर अटल हैं कि हमारी सेना पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के पनाहगाह को खत्म करेगी लेकिन हमें खुफिया सहयोग की भी जरूरत होगी। यह हमें मिला भी है जिसके चलते हमने अलकायदा के खिलाफ प्रभावी तरीके से कार्रवाई की।’
शुक्रवार को पाकिस्तान के कई धार्मिक संगठनों और पार्टियों ने अमेरिका विरोधी प्रदर्शन किए। हैदराबाद शहर में शिया-विरोधी गुट के करीब 900 सदस्यों ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के पुतले फूंके और अमेरिका को ‘हत्यारा’ करार दिया। लाहौर में करीब 800 लोगों ने जमीयत उलेमा इस्लाम के मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और ‘जाओ, अमेरिका जाओ’ के नारे लगाए। पेशावर में भी सैकड़ों लोगों ने प्रदर्शन किया और वजीरिस्तान को ‘अमेरिका की कब्रगाह’ करार दिया।
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