नई दिल्ली. 1.76 लाख करोड़ रुपये के 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले में संकट से घिरी सरकार की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। मीडिया में आई एक नई चिट्ठी सरकार के लिए मुसीबत का सबब बन सकती है। यह चिट्ठी 23 मार्च, 2011 को वित्त मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव बी. जुल्का की तरफ से लिखी गई है, जिस पर वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी के हस्ताक्षर हैं। नई चिट्ठी में इस बात का जिक्र है कि प्रधानमंत्री कार्यालय को 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले को लेकर सूचना दी जाए। इस चिट्ठी के बाद ही वित्त मंत्रालय की एक चिट्ठी 25 मार्च, 2011 को प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी गई, जिसमें कहा गया था कि पी. चिदंबरम चाहते तो राजा को स्पेक्ट्रम आवंटन से रोक सकते थे।
23 मार्च की चिट्ठी से साफ है कि 25 मार्च को वित्त मंत्रालय की तरफ से पीएमओ को भेजी गई चिट्ठी के लिए सिर्फ वित्त मंत्रालय में ही नहीं बल्कि पीएमओ, कैबिनेट सचिवालय, दूरसंचार मंत्रालय से विचार-विमर्श किया गया था चिट्ठी तैयार करने के लिए इन सभी ने हरी झंडी दिखाई थी। खास बात यह है कि वित्त मंत्रायल की 23 मार्च और 25 मार्च की चिट्ठियों पर वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी के हस्ताक्षर हैं।
उधर, 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच कर ही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने केंद्र सरकार से पूछा है कि उससे तथ्य क्यों छुपाए जा रहे हैं? जेपीसी ने 23 मार्च की चिट्ठी के बाबत भी सवाल पूछे हैं। जेपीसी के सवालों के जवाब सरकार की तरफ से डीईए के सचिव आर. गोपालन देंगे।
गौरतलब है कि 29 सितंबर, 2011 को मौजूदा वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने मीडिया से मुखातिब होते हुए 25 मार्च की चिट्ठी की तरफ इशारा करते हुए कहा था, 'यह सिर्फ वित्त मंत्रालय की चिट्ठी नहीं थी। इसमें कई मंत्रालयों के विचार शामिल किए गए थे। चिट्ठी अधिकारियों ने तैयार की थी। चिट्ठी में लिखी गई कई बातें मेरे विचार जाहिर नहीं करती हैं।' लेकिन 23 मार्च की चिट्ठी से साफ है कि 25 मार्च को लिखी गई चिट्ठी सिर्फ एक अधिकारी के स्तर का मामला नहीं था बल्कि उसके लिए वित्तमंत्री के अलावा कई मंत्रालयों और विभागों की रजामंदी थी।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
31 अक्तूबर 2011
2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला: नई चिट्ठी आई सामने, बढ़ीं सरकार की मुश्किलें
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