1990 से लेकर अब तक लालकृष्ण आडवाणी 5 पांच बार रथ यात्रा निकाल चुके। मंगलवार से शुरू हो रही जन चेतना यात्रा अडवाणी की पिछले 21 सालों में छठी रथ यात्रा है।
आइए एक नज़र डालते है आडवाणी की इन पांच रथ यात्राओं पर-
सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा- नब्बे के दशक में भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने अयोध्या में रामजन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर निर्माण का लक्ष्य लेकर गुजरात के सोमनाथ मंदिर से अयोध्या तक 25 सितम्बर 1990 को भ्रष्टाचार से इतर राम मंदिर निर्माण और प्रखर राष्ट्रवाद के नारे के साथ रथ यात्रा निकाली। आडवाणी की इस रथ यात्रा को लोगों का व्यापक समर्थन भी मिला। हालांकि इस रथ यात्रा को देश को बांटने वाला बता दूसरे दलों ने विरोध किया। उस समय बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने उन्हें बिहार के समस्तीपुर जिले में गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के कारण आडवाणी की यह रथ यात्रा अधूरी रह गई।
नतीजा-इस रथ यात्रा से आडवाणी और भाजपा को काफी फायदा पहुंचा। इस रथ यात्रा से आडवाणी की छवि एक कद्दावर नेता के तौर पर उभर का सामने आई। रथ यात्रा के बाद भाजपा के वोट बैंक में अप्रत्याशित रूप से इजाफा हुआ और भाजपा जल्दी ही देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई।
स्वर्ण जयंती रथ यात्रा-आडवाणी ने 'स्वर्ण जयंती' रथ यात्रा के नाम से अपनी दूसरी रथ यात्रा 1997 में शुरू निकाली। देश की आज़ादी के पचास साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आडवाणी ने यह यात्रा निकाली थी। इस यात्रा को जनता का उतना प्रतिसाद नहीं मिला जितना पहली यात्रा को मिला था । पर इस यात्रा से आडवाणी की छवि एक राष्ट्रव्यापी जनाधार वाले नेता के तौर पर उभरी।
नतीजा-आडवाणी की इस रथ यात्रा से भाजपा को राजनीतिक रूप से बहुत फायदा पहुंचा और पार्टी अपने आप को देश के हर कोने में स्थापित करने में सफल रही। पार्टी पहली बार 1998 में केंद्र में गैर कांग्रेसी पार्टियों की गठबंधन सरकार बनाने में सफल रही। हालांकि भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन सरकार केंद्र में मात्र 13 दिन ही शासन कर पाई।
भारत उदय यात्रा- 1999 में भाजपा ने 23 दलों वाली गठबंधन सरकार बनाई और केंद्र में 2004 तक एनडीए की सरकार रही। आडवाणी,एनडीए सरकार में 2002 में उप प्रधानमंत्री बने। एनडीए सरकार ने समय पूर्व चुनाव की घोषणा कर दी थी। भाजपा नीत एनडीए सरकार की उपलब्धियों को लेकर आडवाणी ने 2004 में तीसरी बार रथ यात्रा निकाली। इस रथ यात्रा को 'भारत उदय' (इंडिया साईनिंग) यात्रा नाम दिया गया। आडवाणी की इस रथ यात्रा का उद्देश्य एनडीए सरकार के लिए जनादेश मांगना था।
नतीजा-तमाम एक्सिट पोलों के दावों के बावजूद आश्चर्यजनक रूप से भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए की गठबंधन सरकार चुनाव हार गई।
भारत सुरक्षा रथ यात्रा- आतंकवाद की बढ़ती घटनाओं और सीमा पार से बढ़ते खतरों के प्रति लोगों का ध्यान आकृष्ट करने के इरादे से आडवाणी ने 2006 में 'भारत सुरक्षा' नाम से अपनी चौथी रथ यात्रा निकाली। इस यात्रा में आडवाणी ने कश्मीर की सुरक्षा और आतंकवाद से जुड़े मुद्दे को जोर- शोर से उठाए। इस यात्रा में आडवाणी ने राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद को प्रमुख मुद्दा बनाया।
नतीजा-आडवाणी की यह यात्रा भी लोगों में कोई ख़ास प्रभाव छोड़ने में सफल नहीं रही।
जनादेश यात्रा- 2009 में हुए आम चुनाव में भाजपा ने आडवाणी को भावी प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर लोकसभा का चुनाव लड़ा। आडवाणी की इस यात्रा को भाजपा ने 'जनादेश यात्रा' का नाम दिया। इस यात्रा के दौरान आडवाणी ने मंहगाई,भ्रष्टाचार विदेशों में जमा काला धन आदि को मुद्दा बनाकर देश की जनता से एनडीए के लिए वोट मांगा।
नतीजा- इस चुनाव में एनडीए गठबंधन की बुरी तरह हार हुई। खुद भाजपा की लोकसभा में संख्या घट गई।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
11 अक्तूबर 2011
21 सालों में आडवाणी की छठी रथ यात्रा, डालिए एक नजर
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