विश्व महिला बॉक्सिंग चैम्पियन मेरी कोम का कहना है कि इस विषम परिस्थति में वह किसी तरह ओलम्पिक की तैयारियां कर रहीं और लकड़ियों का इस्तेमाल कर खाना बना रही हैं।
दो बच्चों की मां कोम ने कहा,"लकड़ी जलाकर खाना बनाने में काफी समय लगता है और इस वजह से जीवन बहुत कठिन हो गया है। आर्थिक नाकेबंदी की वजह से गैस सिलेंडर बाजार में नहीं मिल रहा है। मैं लकड़ी जलाकर खाना बनाने को मजबूर हूं।"
कोम कहती हैं कि इस तरह की परिस्थति में ओलम्पिक को लेकर उनकी तैयारियों पर असर पड़ रहा है। पांच बार की महिला बॉक्सिंग विश्व चैम्पियन रहीं कोम उन हजारों लोगों में से एक हैं,जो इस वर्तमान आर्थिक नाकेबंदी की वजह से प्रभावित हैं। इन लोगों में रोजमर्रा की चीजों की इतनी ऊंची कीमत देने की क्षमता नहीं है।
शहर के सभी अस्पतालों में भी नाकेबंदी का खासा असर पड़ा है। गैस सिलेंडरों की उपलब्धता नहीं होने की वजह से अस्पतालों में ऑपरेशन नहीं हो पा रहे हैं। बच्चों के खाने पीने की चीजें और जीवन रक्षक दवाएं लगभग समाप्त हो चुकी हैं।
दो राष्ट्रीय राजमार्गो पर नाकेबंदी की वजह से वाहनों की आवाजाही ठप्प है। मणिपुर को देश से जोड़ने वाली मुख्य सड़क दो जनजाति समूहों की आपसी लड़ाई की वजह से बंद है। ये लोग इलाके में नए जिले के गठन की मांग कर रहे हैं।
कुकी समुदाय एकतरफ जहां अल सादार हिल्स जिले की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ नागा समुदाय के लोग इसके लिए अपनी जमीन छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
दोनों समुदायों के बीच संघर्ष की वजह से आवश्यक खाद्य पदार्थो और दवाइयों से लैस सैकड़ों ट्रक नागालैंड और असम की सीमा पर रुके हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने दोनों राजमार्गो को अवरूद्ध कर रखा है।
इम्फाल के एक निवासी सुनील सिंह ने कहा,"बाजार में कालाबाजारी बढ़ गई है। एक लीटर पेट्रोल की कीमत 200 रूपए तक पहुंच गई है तो गैस सिलेंडर 1,500 रूपए में या उससे अधिक कीमत में मिल रहा है। चावल 60 से 70 रूपए प्रति किलो बिक रहा है।"
एक अन्य व्यक्ति बसंता सिंह ने बताया कि मणिपुर में लोगों का जीवन काफी दुभर हो गया है। ईंधन, गैस सिलेंडर और आवश्यक खाद्य पदार्थो की किल्लत हो गई है। व्यापारी मनमाना दाम वसूल रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि मणिपुर पूर्ण रूप से बाहर से आने वाली रसद सामग्री पर निर्भर करता है। देश के अन्य हिस्सों से आवश्यक वस्तुओं की खेप नागालैंड के रास्ते मणिपुर में पहुंचती है।
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