कुछ ऐसी ही यह घटना है गुजरात के नवागांव की। यहां के निवासी बच्चूभाई आंबलिया ने 18 वर्ष पहले मीराबेन नामक लड़की से प्रेम-विवाह किया था। बच्चूभाई के परिजनों ने इसी के बाद से उससे अपने सारे नाते तोड़ लिए थे। बच्चूभाई पत्नी के साथ नवागांव आ गया और पति-पत्नी यहीं पर रहकर मेहनत-मजदूरी कर जीवन-बसर करने लगे।
18 वर्षों के वैवाहिक जीवन के दौरान इनके घर दो बच्चियों का जन्म हुआ। परिवार सुख-चैन से जीवन बसर कर रहा था। लेकिन कुछ दिन पहले बच्चूभाई बीमार पड़ गया। हालत बिगडऩे पर उसे बीते शनिवार को सार्वजनिक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।
परिवार में पत्नी और दो बच्चियां थीं। शास्त्रों के अनुसार मुखाग्रि परिवार के किसी पुरुष को ही देनी होती है। इसलिए मीराबेन ने बच्चूभाई के परिजनों से संपर्क किया लेकिन परिजनों ने साफ मना कर दिया। मीराबेन की आर्थिक स्थिति भी ऐसी नहीं थी कि वह पति का अंतिम संस्कार करा सकती।
आखिरकार नगर पालिका के सेनेटरी इंस्पेक्टर उस्मान मलिक और स्टाफ ने मृतक की लाश को मोडासा के श्मशान-गृह पहुंचाया, जहां मृतक की दोनों बेटियों क्रमश: गायत्री (11) और सोनल (8) ने पिता की चिता को मुखाग्रि दी।
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