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29 सितंबर 2011

श्मशान में कब्र को देख अचंभित रह गया सदमें में डूबा परिवार

कोटा.तीन दिन पहले नवजात को दफना कर गए परिवार वाले बुधवार को श्मशान पहुंचे तो अचंभित रह गए। जहां नवजात को दफनाया गया था, वहा जगह खुदी पड़ी थी और उसमें से शव गायब था। परिजनों ने आसपास वालों से पूछताछ की, लेकिन कुछ पता नहीं चल सका। इसके बाद वे निराश होकर लौट गए।

तालेड़ा की एक महिला के तीन दिन पहले कोटा के निजी अस्पताल में प्रसव हुआ। बच्चा मृत था। परिवार वालों ने उसे सुभाष नगर स्थित बच्चों के श्मशान में दफनाया। वे बुधवार सुबह दूध पिलाने की रस्म अदायगी के लिए श्मशान पहुंचे तो वहां नवजात की कब्र खुदी हुई थी।

उसकी मिट्टी आसपास बिखरी हुई थी। परिवार वालों ने जानवरों द्वारा कब्र खोदने की आशंका के चलते आसपास की झाड़ियों व अन्य जगह पर तलाश किया, लेकिन कहीं पता नहीं चला। श्मशान के आसपास रहने वालों से भी जानकारी की, लेकिन कोई कुछ नहीं बता पाया।

वे मायूस होकर लौट गए। हालांकि इस संबंध पुलिस में कोई शिकायत नहीं दी गई है। वहां एक कब्र और खुदी हुई थी, जिसके बारे मे अभी यह पता नहीं चल पाया है कि उसमें भी शव सुरक्षित है या नहीं।

शव के दुरुपयोग की आशंका

आसपास के लोगों ने आशंका जताई कि नवरात्रि के दिनों में पहले भी यहां बच्चों के गायब होने की घटनाएं हो चुकी हैं। कुछ असामाजिक तत्त्व तांत्रिक क्रिया के लिए भी शव चुरा सकते हैं। पुलिस को इस बाबत कई बार शिकायतें की जा चुकी हैं, लेकिन कोई ध्यान नहीं देता।

इनकी सुरक्षा कौन करेगा

सुभाष नगर के श्मशान से नवजात के शव निकालने जाने की घटना के बाद भास्कर ने शहर के प्रमुख श्मशानों के हाल जाने तो पता चला कि उनमें सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। कई बार शहरवासियों की भावनाएं आहत हो चुकी हैं बावजूद प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहा।

शहरवासियों का आरोप है कि तांत्रिक उपयोग के लिए लोग बच्चों के शव निकाल ले जाते हैं अथवा फिर जानवर उन्हें बाहर निकालकर क्षत विक्षत कर देते हैं।

बड़ों के लिए व्यवस्थाएं ठीक ,बच्चों की अनदेखी

किशोरपुरा मुक्तिधाम शहर का सबसे प्रमुख मुक्तिधाम है। चंबल किनारे बने इस मुक्तिधाम पर हर समय एक गार्ड भी रहता है। लेकिन, बच्चों के श्मशान में सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं है।

चारदीवारी है, लेकिन रास्ता खुला है

चंबल किनारे बने रामपुरा व नयापुरा मुक्तिधाम पर चारदीवारी तो बनी हुई है। यहां न तो कोई गार्ड तैनात रहता है और न ही सुरक्षा के इंतजाम किए हुए हैं। चारदीवारी के बीच में रास्ता होने से जानवर आ जाते हैं। दोनों श्मशानों पर स्मैकचियों का जमावड़ा रहता है।

बदतर हालात

कुन्हाड़ी में तीन श्मशान हैं, तीनों ही खुले पड़े हुए हैं। स्टेशन व डीसीएम क्षेत्र में भी श्मशानों पर चार दीवारी है, लेकिन गेट व गार्ड नहीं होने से असुरक्षित हैं। प्रशासन करे सुरक्षा

पंडित अमित जैन ने बताया कि लोग भ्रामक जानकारियों के आधार पर तांत्रिक क्रियाओं के लिए भी इस तरह की अवांछित हरकतें करते हैं। प्रशासन को इस तरह की घटनाओं की रोकथाम के लिए श्मशानों की सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करनी चाहिए।

जानवरों द्वारा ले जाने से भी इंकार नहीं

श्मशान पूरी तरह से खुला पड़ा हुआ है। वहां कोई भी जानवर आसानी से आ जा सकता है। इसलिए, नवजात का शव किसी जानवर द्वारा ले जाने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता।

यहां हो चुकी हैं घटनाएं

>नयापुरा मुक्तिधाम पर चार माह पहले शव को निकाला गया था

>रामपुरा मुक्तिधाम पर अस्थियां चोरी होने व बच्चों के शव गायब होने पर खूब हंगामा हुआ था

>केशवपुरा मुक्तिधाम से छह माह पहले कुत्ते बच्चों के शवों को बाहर निकाल लाए थे।

ये होनी चाहिए व्यवस्थाएं

>चारदीवारी बनाई जाए और दरवाजे लगाकर सुरक्षा व्यवस्थाएं बढ़ाई जाएं

>सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएं

>बच्चों के श्मशान पर केशवपुरा की तरह जालियां लगाई जानी चाहिए

>बच्चों के श्मशान पर मिट्टी की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे कब्र को ठीक प्रकार से भरा जा सके

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