आपका-अख्तर खान

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08 सितंबर 2011

जुलुस ,धार्मिक स्थल और पथराव फिर नफरत ही नफरत इसे जरा रोक लो यारों ...........

दोस्तों एक तरफ तो देश के दुश्मन आतंकवादी हाई टेक हैं कड़ी सुरक्षा के बीच चेलेंज देकर , विस्फोट कर सभी धर्म के लोगों को चोटिल और आहत कर रहे हैं और दूसरी तरफ हम गली छाप गुंडों के कहने में आकर वही पुराना दकियानूसी राजनितिक खेल खेल रहे हैं जिसमे धार्मिक जुलुस का एक धार्मिक स्थल से निकलना फिर वहां धूम धडाका होना शोर शराबे के बाद पथराव फिर तोड़फोड़ और दंगे फसाद का माहोल और एक खास पार्टी को फायदा होता है .हम कल भी पागल थे आज भी पागल हैं हमारी इक्कीसवीं सदी और आज का हमारा वही पिछड़ा पन हमारी लानत के लियें काफी है ...........कल कोटा के नजदीक मोड़क में जब यही घिसी पिटी केसिट चलाई गयी जल झुलनी का जुलुस एक मस्जिद के पास से निकला वहन रुका और फिर पथराव के आरोप के बाद भगदड़ तोड़फोड़ के बाद तनाव हो गया अमन पसंद लोग और प्रशासन परेशान हो गया लोगों की धडकने थम गयी और पुलिस तथा जिला प्रशासन भाग्दोड़ में लग गया लेकिन मुख्य दोषी कोन था पता ही नहीं चल सका और पता भी केसे चले इनका उद्देश्य तो योजनाबद्ध होता है कभी राजनीति से यह प्रेरित होते हैं तो कभी विदेशी ताकतों से यह मिले रहते हैं या कट्टर पंथी बुखार से यह पीड़ित रहते हैं .लेकिन एक शोध से हमारे देश में दंगों का एक ख़ास बहाना एक खास बुनियात जुलुस का धार्मिक स्थल के पास से निकलना और फिर उस पथराव होना फिर भगदड़ और फिर दंगे फसाद एक पक्ष नारेबाजी के आरोप लगाता है तो दुसरा पक्ष पथराव का आरोप लगाता हैं जाने जाती हैं सम्पत्ति को नुकसान पहुंचता है बड़े दंगों में आयोग बेठता है फिर सब वेसा का वेसा ही दोहराया जाता है .दोस्तों हम और देशवासी इस घिसी पिटी केसिट से तंग आ गये हैं लेकिन प्रशासन और पुलिस ने इससे कोई सबक न तो लिया है और ना ही कोई एहतियाती कार्ययोजना तय्यार की हैं .इसके लियें एक फार्मूला है अगर आपको ठीक लगे तो मुझे थोड़ी शाबाशी देने के लिए एक पत्र प्रधानमन्त्री ,,राष्ट्रपति ,राज्यपाल और मुख्यमंत्री को अवश्य डालना ....
फार्मूला नम्बर एक ............जब भी धार्मिक जुलूसों का आयोजन हो धार्मिक स्थलों के मार्ग से जुलुस निकलने को जितना टाला जा सकता हों टाला जाए ...........अगर मुख्य मार्ग पर ही धार्मिक स्थल हो तो जुलुस पहुंचने के आधे घंटे पहले ऐसे धार्मिक स्थल को खाली करवा कर पुलिस धार्मिक अदब के साथ अपने कब्जे में ले और सम्बंधित धार्मिक स्थान के बाहर जुलुस का ठहराव प्रदर्शन वर्जित हो और तुरंत वहां से जुलुस को निकाल कर वापस सम्बंधित धार्मिक स्थल धर्म से जुड़े लोगों के सुपुर्द कर दिया जाए ऐसा देश के हर छोटे बढ़े जुलुस में हो और इस मामले में आवश्यक दिशा निर्देश जारी होकर कानून बना कर इसकी पालना हो ताकि देश के किसी भी कोने में कमसे कम किसी भी धार्मिक जुलुस पर धार्मिक स्थल से पथराव करने का बहाना लेकर किसी भी आसामाजिक तत्व द्वारा दंगा फसाद नहीं करवाया जा सके .............दोस्तों आज हाईटेक युग है जुलुस .प्रदर्शनों की विडियोग्राफी अनिवार्य रूप से की जाती है फिर कहां किसकी गलती है उसे नामज़द कर दंडित क्यूँ नहीं क्या जाता उन कमरों में बंद साक्ष्य को सार्वजनिक क्यूँ नहीं क्या जाता जो पुलिस के पास सुरक्षित रहते हैं और अगर पुलिस का केमरामेन जुलुस पथराव की घटना मामले में ऐसे आपराधिक तत्वों की विडियोग्राफी करने में अक्षम रहता है तो उसे भी दंडित करना चाहिए ........तो जनाब करो कुछ ऐसा करिश्मा के यह देश ऐसा लगे थोडा तुम्हारा थोड़ा हमारा है इस देश के प्रति मान सम्मान थोड़ा तुम्हारा है तो थोडा हमारा है .यहा इसी देश की मिटटी में तुम्हे मिलजाना हिया तो हमें भी इसी देश की मिटटी में दब कर खुदा के घर जाना है इसलियें जाती धर्म राजनीति से बढ़ा देश और देश की सुक्ख शान्ति देश का भाईचारा है बस इसीलियें अपनी अक्ल से काम लोग खुदा इश्वर भगवान और अल्लाह से डरो और इस संकट के वक्त देश और देशवासियों के साथ खड़े होकर देश का साथ दो ..........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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