गोरखपुर।देवरिया के भुजौली कालोनी में 14 साल का रंजन रहता है। जन्म लेने के कुछ दिन बाद ही बड़ा हादसा हो गया। करंट लगने के कारण उसका हाथ काटना पड़ा। अब हाथ के भरोसे पूरे जीवन की गाड़ी चलानी थी। फिर भी रंजन ने कभी हिम्मत नहीं हारी। एक हाथ के बूते उसने ताइक्वांडो में महारत हासिल कर ली है। दर्जनों मेडल हासिल कर मिसाल कायम कर दिया।
जानकारी के मुताबिक, रामेश्र्वर पासवान के तीन बेटों में दूसरे नम्बर के रंजन का हाथ बचपन में करंट लगने के कारण काटना पड़ा था। बेटे का एक हाथ कटने के बाद माता-पिता को उसके भविष्य की चिंता इस कदर सताने लगी कि वह अवसाद के शिकार हो गए। मां-बाप की भावनाओं को समझकर उसने संकल्प लिया कि एक हाथ के बूते ऐसा करिश्मा कर दिखाएगा कि लोग दांतों तले अंगुली दबा लेंगे।
रंजन के मुताबिक, जब ताइक्वांडो सीखने गया तो बच्चे उसका एक हाथ देखकर खिल्ली उड़ाने लगे। पर वह छह महीने के भीतर ताइक्वांडो का एक कुशल खिलाड़ी बन गया। 2008 में स्टेट ताइक्वांडो प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल प्राप्त कर सबको चौंका दिया। राज्य स्तर पर कई गोल्ड और सिल्वर मेडल जीते।
आज रंजन इस संघर्ष में संघर्षरत है। आर्थिक स्थिति खराब होने कारण कारपेंटर का काम रहा है। उसने सोचा था नेशनल प्लेयर बनकर पूरे देश का नाम करेगा। पर हाय रे मजबूरी जो ना करा दे। इतने प्रतिभावान खिलाड़ी को पेट भरने के लिए यह सब करना पड़ रहा है।
रंजन वाकई साहसी और प्रतिभावान है । हम सब ब्लॉगर मिलकर उसके लिये कुछ कर सकते हैं । यदिआप पहल करें तो हमें भी बतायें कि मदद कहां भेजनी है ।
जवाब देंहटाएंbahut khoob..........
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