हिण्डौन सिटी। वन भूमि में अवैध रूप से खनन पट्टे हासिल करने के मामले में मोटर गैराज मंत्री भरोसीलाल जाटव के खिलाफ धोखाधड़ी, षड्यंत्र व फर्जी दस्तावेज तैयार करने की धाराओं में आपराघिक मामला दर्ज किया जाएगा। शुक्रवार को यहां के अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश कनिष्ठ खण्ड रणधीर सिंह मिर्घा ने एक इस्तगासे के आधार पर मंत्री जाटव, उनके चार बेटों तथा खान व वन विभाग के अफसरों सहित 12 जनों के खिलाफ सदर थाना पुलिस को मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने कुछ समय पूर्व मंत्रीपुत्रों द्वारा वन भूमि में खनन करने तथा अवैध रूप से क्रेशर चलाने का मामला उजागर किया था। सामाजिक कार्यकर्ता अशोक पाठक ने एडवोकेट विक्रमपाल जादौन व आनंद गोयल के जरिए अदालत में इस्तगासा दायर किया था।
इसमें शिकायत की गई थी कि मंत्री भरोसीलाल ने 2000 में विधायक रहते हुए खरैटा क्षेत्र के खास खसरा नम्बर की भूमि के बारे में विधानसभा में प्रश्न पूछ कर पता किया कि वह क्षेत्र वनभूमि है। बावजूद उन्होंने बाद में जिला प्रमुख रहते हुए उनके प्रभाव के कारण 19 नवम्बर 2004 को तत्कालीन उप वन संरक्षक ने एक पत्र जारी कर उस भूमि को राजस्व भूमि बता दिया।
इसके आधार पर खान विभाग ने 28 जून 2005 को भरोसीलाल के पुत्रों व अन्य को खरैटा क्षेत्र में उस भूमि के खनन पट्टे जारी कर दिए। मामले की शिकायत होने पर मुख्य वन संरक्षक ने 6 फरवरी 2011 को उस भूमि को वन भूमि बताया और वन अघिकारी के फैसले को आपराघिक कृत्य बताया।
इनके खिलाफ मामला
मोटर गैराज मंत्री भरोसीलाल, नवीन, नरेश, सुरेन्द्र बृजेश, योेगेन्द्र, सावित्री, सुनृता, गोपाल दत्ता, तत्कालीन खनि अभियंता करौली एन. के. सक्सैना, एम. पी. मीणा तत्कालीन अधीक्षण अभियंता खनि भरतपुर, ए.वी. रायजादा तत्कालीन उपवन संरक्षक करौली के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420, 425, 467,468, 409, 120 बी के तहत मामला दर्ज करने के आदेश दिए।
23 करोड़ के घोटाले में भी कार्रवाई नहीं
जयपुर। एक तरह अवैध खनन को लेकर राज्य के एक मंत्री के खिलाफ आपराघिक मामला दर्ज किया जा रहा है वहीं राज्य सरकार झुंझुनूं जिले के मोडा पहाड़ क्षेत्र में 23 करोड़ रूपए के अवैध खनन घोटाले को दबाए बैठी है। राजस्थान पत्रिका मेंं खबर छपने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मामले की रिपोर्ट मंगवाई थी लेकिन उसमें कोई कार्रवाई नहीं की। खान निदेशक की ओर से सीकर खनिज अभियंता के निलम्बन की सिफारिश पर भी सरकार मौन है।वहीं पता चला है कि इस मामले में अभियन्ता के खिलाफ आरोप पत्र तैयार करने का जिम्मा ऎसे अघिकारी को दिया गया है, जिनकी इस प्रकरण में संदिग्ध भूमिका है।
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