तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
06 सितंबर 2011
ऐ मेरे देश के सांसदों थोड़ा शर्म करों क्या यही है संसद के विशेषाधिकार
दोस्तों जरा उठो और मेरे देश के इन बेशर्म सांसदों से जरा यह तो पूछ लो क्या संसद में रिश्वत लेकर वोट डालना ..रिश्वत लेकर सवाल पूंछना राष्ट्रहित से अलग हट कर संसद में अपनी पार्टी की गलत नीतियों की तरफ दुम हिलाना ....खर्राटें भरना या फिर बिना किसी वोट के संसद से बाई कोट कर देना ही तुम्हारा विशेषाधिकार हैं ...............दोस्तों मेरे देश के इन सांसदों को जेल में भरे पढ़े नेताओं के किस्से सुनाओ लालू का चारा ..अमरसिंह का संसद रिश्वत काण्ड ..झारखंड मुक्ति मोर्चा का रिश्वत काण्ड .संसद की जूतम पैजार ..रामजेठमलानी के फटेहाल कपड़े .....हर्षद मेहता का समर्थन .....क्या यही सब संसद का विशेषाधिकार है .दोस्तों अपने भी संसद देखी है आपने भी संसद पर हमले के वक्त संसद में दहाड़ने वाले इन लोगों की पतली दाल और दिल की धडकन देखी है हमारे देश में सर्वे करवा लो कुछ्द्र्जन सांसदों को अगर हम छोड़ दें तो सभी एक ही थाली के चाटते बट्टे हैं क्योंकि सो के लगभग जो सांसद देश का बन्टाधार कर रहे हैं उस मामले में यह लोग उनके खिलाफ जनहित में आवाज़ नहीं उठाते और जब जनता में इनकी छवि बिगडती है इनकी स्थिति बाहर बताई जाती है तो फिर यही लोग संसद के विशेषाधिकार के नाम पर खुन्नस खाकर जनता को सच बताने वालों को जेल डर दिखाते हैं अरे मेरे देश के सांसदों थोड़ा तो शर्म करो तुम सवा करोड़ लोगों की भावना से खेल रहे हो तुम में से कई ठीक लोग है तो कई कितने गंदे लोग है तुम भी तो जानते हो फिर क्यूँ ऐसे लोगों को संसद में आने से रोकने के लियें कानून नहीं बनवाते हो अगर ऐसा नहीं होता है और वेतन के मामले में तुम एक हो जाते हो जनता के हितों के मामले में धड़ों और पार्टियों में बंट जाते हो संसद में जनता के लियें जब कानून बन रहा हो तब तुम सो जाते हो .रिश्वत लेकर वोट डालते हो .रिश्वत लेकर सवाल पूंछते हो और वोह भी जनता के रुपयों पर जनता के टेक्स से दो करोड़ प्रतिवर्ष का खर्च लाखों का वेतन और दस रूपये का मुर्गा चिकन मटन खाते हो यानी हमारा खाते हो और हम पर ही गुर्राते हो जरा सुधरो अंतरात्मा को टटोलो राष्ट्रहित में इन सवालों का जवाब खोजो और जनता को कुछ करके दिखाओ जनता तो तुम्हे पलक पांवे बिछा कर कन्धों पर बिठाएगी और फिर कोई तुम्हारी तरफ ऊँगली भी उठाएगा तो जनता खुद ही उसकी ऊँगली काट देगी तो सांसदों जरा एक बार सिर्फ एक बार राष्ट्रहित और जनहित में तो सोचो यार तुम कहा गलत हो कहां तुम्हे सुधार करना है खुद ही समझ लोगे और संसद के विशेषाधिकार की बात करते हो तो जो आरोप तुम सांसदों पर लग रहे हैं जरा जन मत करा लो सवा करोड़ के सवा करोड़ को ही तुम्हे जेल भेजना होगा क्या कर सकोगे ऐसा सांसदों झूंठ मत बोलों खुदा के पास जाना है ......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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