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30 सितंबर 2011

प्रकाश संश्लेषण से बनेगी बिजली!


नकली पेड़-पौधे अब तक घर की सजावट में तो धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहे थे। लेकिन मसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के शोधार्थियों ने अब कृत्रिम पत्ती से बिजली बनाने की तकनीक विकसित कर वैकल्पिक ऊर्जा की दिशा में उम्मीदें बढ़ाई हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि इस प्रक्रिया में किसी महंगे पदार्थ की जरूरत नहीं पड़ती। यह पत्ती सौर ऊर्जा को केमिकल फ्यूल में बदलती है, जिसे स्टोर कर बाद में बिजली में बदला जा सकेगा।

क्या है कृत्रिम पत्ती : यह सिलिकॉन से तैयार एक नकली पत्ती है, जिसके दोनों तरफ कैटेलिक्टिक पदार्थ लगाए हैं। इसे सूरज की रोशनी में पानी से भरे एक साधारण कंटेनर में रखा जाता है। कुछ ही देर में एक तरफ से ऑक्सीजन और दूसरी तरफ से हाइड्रोजन के ढेरों बुलबुले उठने लगते हैं। बीच में एक बैरियर की मदद से इन्हें अलग-अलग रखा जाता है। इन बुलबुलों को एकत्र कर लेते हैं और बाद में फ्यूल सेल की मदद से बिजली में बदल लेते हैं।

किससे बना है : यह उपकरण भरपूर मात्रा में उपलब्ध सस्ते मटेरियल से तैयार किया गया है। इनमें भी सिलिकॉन, कोबाल्ट और निकल प्रमुख हैं। ऑक्सीजन-हाइड्रोजन अलग करने के लिए सादे पानी का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि सूर्य के प्रकाश में पानी को बांटने वाले अन्य डिवाइसों में प्लेटीनम सरीखे महंगी धातु का इस्तेमाल करते हैं।

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