जयपुर.आल इंडिया मेयर काउंसिल की बैठक के शुरुआत में ही माहौल तनावपूर्ण हो गया। अपने उद्घाटन भाषण में ही नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने कहा, ‘अधिकार मांगने वाले मेयरों को संविधान में बताए गए18 कर्तव्य को भी ध्यान में रखना चाहिए।
उन्हें दोबारा चुनाव तो लड़ना नहीं, विकास पर ध्यान देना चाहिए।’ ये बोलकर धारीवाल तुरंत कोटा के लिए रवाना हो गए। वहीं, देशभर से आए मेयरों में रोष व्याप्त हो गया। काउंसिल चेयरमैन आशुतोष वाष्र्णेय ने सरकार पर शक्तियों के हनन का आरोप लगाया।
वहीं, बाकी मेयरों ने भी एकसुर से धारीवाल के खिलाफ तीखी टिप्पणी की। साथ ही इस बात पर नाराजगी जाहिर की कि मंत्री ने उनसे परिचय तक करना उचित नहीं समझा।
काउंसिल की शनिवार को हुई 102वीं बैठक के उदघाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 243 में नगर निकायों व मेयर के 18 कर्तव्य बताए गए हैं। मेयरों को अधिकारों के साथ साथ अपने कर्तव्यों के बारे में भी सोचना होगा।
स्थानीय निकाय राज्य सरकार के भरोसे कब तक जिंदा रहेंगी। उनको अपने स्तर पर आर्थिक स्थिति सुधारनी होगी। टैक्स लगाना निकायों का अधिकार नहीं है लेकिन टैक्स की वसूली तो निकाय ही करेंगी।
प्रोजेक्ट के लिए केंद्र व राज्य से पैसा मिलने के बावजूद अपने हिस्से की 10 फीसदी राशि भी निकाय नहीं चुका पा रहें हैं। प्रदेश सरकार ने स्थानीय निकायों को नये एक्ट में पूर्ण स्वायत्तता दी है, निकाय को बजट पास करवाने की भी जरूरत नहीं।
स्थानीय निकायों को आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए 1000 करोड़ रुपए के अरबन डवलपमेंट फंड की स्थापना की है। स्थानीय निकायों को और भी अधिकार देना चाहते हैं लेकिन पहले इनका इंफ्रास्ट्रक्चर तो मजबूत हो।
उन्होंने आश्वस्त किया कि काउंसिल की बैठक में जो भी अच्छे सुझाव आएंगे, सरकार उनपर गौर करेगी। काउंसिल की बैठक में 40 मेंबरों को आमंत्रित किया गया था लेकिन पहले दिन आयोजित दो सत्रों में 22 मेंबर ही शामिल हुए।
काउंसिल चेयरमैन ने दिया जवाब
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे काउंसिल के चेयरमैन आशुतोष वाष्र्णेय ने बताया कि केंद्र सरकार तो 74वां संविधान संशोधन कर मेयरों को अधिकार दे चुकी है, लेकिन राज्य सरकारें, इम्प्लीमेंट नहीं कर रही है। स्टेट गर्वमेंट स्थानीय निकायों को पूरी तरह से शक्तियां नहीं सौंप रहीं हैं।
संविधान की भावना का उल्लंघन हो रहा है। देशभर में मेयरों की वित्तीय व प्रशासनिक शक्तियां, कार्यकाल, और चुनाव की प्रक्रिया एक जैसी होनी चाहिए। कुछ जगहों पर तो सरकार ने मेयर को पॉवर दे रखा है जबकि कई जगहों पर विपरीत सत्ता होने से मेयर पॉवर लेस हो गए हैं।
जयपुर मेयर का दर्द, अधिकारी ही योजना बनाते हैं और निर्णय लेते हैं
मेयर ज्योति खंडेलवाल ने कहा कि स्थानीय निकायों में अधिकारी ही योजना बनाते हैं और निर्णय लागू करते हैं, जिससे आम नागरिकों की भागीदारी नहीं रहती। ऐसे पारदर्शिता नहीं आने से विकास अधूरा रह जाता है।
उन्होंने सुझाव दिया कि मेयर काउंसिल की वेबसाइट बनाई जाए और मेयर अपने अपने शहरों में हो रही विकास कार्यो व सुझाव की जानकारी उस पर डाले। गौरतलब है कि चुनाव के बाद से ही मेयर और अफसरों में लगातार विवाद चला आ रहा है। ये निर्णय लिए गए
1. 74वें संविधान संशोधन को सभी स्थानीय निकायों में प्रभावी ढंग से लागू किया जाए
2. अधिकारों को लेकर मेयर काउंसिल प्रधानमंत्री, यूपीए की चेयरपर्सन व महासचिव से मिलेंगे
3. ध्यान आकर्षण करवाने के लिए दिल्ली के जंतर मंतर के पास अक्टूबर में एक दिन धरना देंगे
4. काउंसिल चुनाव अक्टूबर के अंत में कराए जाएंगे
इन्होंने जाहिर की नाराजगी
भोपाल की मेयर कृष्णा गौड़ ने मंत्री द्वारा बीच में बैठक छोड़ चले जाने पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि मंत्री जी से मेयरों का परिचय तक नहीं हुआ है। अगर मंत्री कुछ देर के लिए बैठक में और रुकते तो हो सकता था विकास कार्य पर अधिक चर्चा हो सकती थी।
मंत्री के चले जाने के बाद यह शिकायत मेयर ने मेयर काउंसिल के चेयरमेन से की। गाजियाबाद की मेयर दमयंती गोयल ने कहा कि मेयर काउंसिल की बैठक के दौरान अगर कोई अतिथि आता है तो उसे मेयरों का परिचय अवश्य कराना चाहिए। आज मंत्री से मेयरों का परिचय तक नहीं हुआ। यह अच्छा नहीं हुआ।
जयपुर के सुर में 21 महापौर
आल इंडिया मेयर काउंसिल में देशभर से गुलाबी शहर आए मेयर एक सुर में मांग कर रहे हैं कि उन्हें और अधिकार दिए जाएं। कोलकाता, इंदौर जैसे एक दो शहरों को छोड़ दें तो देश के 21 शहरों से आए महापौर भी जयपुर की महापौर की तरह निगम अधिकारियों और सरकार से परेशान हैं।
भास्कर ने जब उनसे पूछा कि जितने अधिकार उनके पास है, उससे क्या बड़े काम करवाए? तो एक दो को छोड़कर अधिकतर उनके पास अधिकार ही नहीं होने का राग अलापने लग गए।
कोलकाता में हालांकि 74 वां संविधान संशोधन लागू होने से मेयर के पास सभी अधिकार है, जिससे निगम ने मेट्रो जैसे बड़ा काम हाथ में लिया, लेकिन शेष शहरों में पूरा पावर महापौर के हाथ में नहीं होने से मेयर अपने आप को कमतर महसूस करते हैं।
सभी महापौर पूरे देश में 74 वां संविधान संशोधन लागू सख्ती से लागू करने, अधिकारियों की एसीआर भरने, 75 लाख से एक रुपए तक की फाइल निकालने का अधिकार देने व सभी टैक्स का अधिकार निगम को देने की मांग कर रहे हैं।
जनता से फंड जुटाया
इंदौर में निगम ने सरकार के भरोसे रहना छोड़ जनता को जोड़ कर विकास कार्य करने की शुरुआत की है। कुछ दिन पहले इंदौर निगम ने पीपी मोड पर कुछ सड़कों, हेरिटेज बिल्डिंग और मेरिज गार्डन का सौन्दर्यन किया है।
मार्च, 12 तक निगम के पास सौ करोड़ रुपए इक्कट्ठे होने की उम्मीद है। इसी से शहर का विकास हो रहा है। सरकार से फंड लेने की जरूरत ही नहीं पड़ रही है।
-कृष्ण मुरारी मोघे,
मेयर, इंदौर
मेट्रो का काम निगम के हाथ
पश्चिमी बंगाल में मेयर को सभी अधिकार मिले हुए हैं। हमने सबसे पहले हावड़ा में मेट्रो का काम निगम के माध्यम से शुरू करवाया। अधिकारियों की एसीआर भी महापौर ही भरते हैं। जितने भी प्रोजेक्ट शहर में शुरू करने होते हैं, उसकी फाइल पास करना या रोकना मेयर के हाथ में होने से कोई काम रुक नहीं रहा। इससे शहर के विकास में सरकार का हस्तक्षेप नहीं के बराबर रहता है।
-ममता जायसवाल, मेयर, हावड़ा, प. बंगाल
आधे-अधूरे अधिकार
जो अधिकार हैं उनका तो पूरा उपयोग हो रहा है, लेकिन बाकी अधिकार और कमिश्नर की एसीआर भरने का अधिकार मिल जाएगा तो मेयर और कमिश्नर में तालमेल रहेगा। यदि कमिश्नर की नब्ज मेयर के हाथ में पकड़ा दी जाए तो विकास कार्य प्रभावित नहीं होंगे। फिलहाल सीईओ को 20 लाख और मेयर को 50 लाख रुपए तक की फाइल निकालने के अधिकार हैं।
-समीक्षा गुप्ता, मेयर ग्वालियर
मेरठ में रबर स्टांप है मेयर
मेरठ में मेयर के पास अधिकार नाम से कुछ भी नहीं है। मेयर सिर्फ बोर्ड मीटिंग की बैठक की अध्यक्षता करती है। फाइलों पर हस्ताक्षर करती हैं। निगम के पास विकास कार्य के लिए फंड नहीं है। निगम हाउस टैक्स के अलावा कोई टैक्स नहीं लगा सकता। यूपी में सीईओ की एसीआर भरने का अधिकार मेयर के पास है, लेकिन एसीआर डिवीजनल कमिश्नर से भराई जा रही है।
-मधु गुर्जर,मेयर,
मेरठ
सफाई का महत्व सिखाया
शिमला में निगम ने एक सोसायटी बना कर डोर टू डोर कचरा उठाने की योजना लागू की है। इसमें शहर के चुनिंदा 300 लोगों को लिया गया है। लोग सड़क पर कचरा नहीं डाले इस के लिए डस्टबिन वितरित किए गए। पीपीपी मोड पर तीन पार्किग प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य चल रहा है। कुत्तों के लिए डोग पोंड बनाया गया है। इससे लोगों को काफी फायदा हुआ है।
-मधु सूद, मेयर,
शिमला
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