आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

23 सितंबर 2011

...क्योंकि हम अकेले ही पैदा होते हैं और अकेले ही मर जाते हैं!

| Email Print

जब इस दुनिया में किसी व्यक्ति का जन्म होता है तो वह अकेले ही आता है। उसके साथ कोई और नहीं होता है। जन्म के बाद ही उसे परिवार, समाज, मित्र आदि प्राप्त होते हैं। जैसे कर्म वह करता है उसी के अनुसार जीवनभर सुख या दुख प्राप्त करते रहता है। अंत में व्यक्ति अकेले ही मर जाता है।

आचार्य चाणक्य ने जीवन से जुड़ी कई सटीक नीतियां बताई हैं। इन नीतियों में जीवन की सत्यता छिपी हुई है। जो व्यक्ति इन नीतियों को अपने व्यवहार में उतार लेता है वह निश्चित ही श्रेष्ठ व्यक्ति बन सकता है। आचार्य ने बताया है कि इस दुनिया में हमें आना अकेले ही है और जाना भी अकेले ही पड़ता है, अत: स्वर्ग या नर्क भी हमें अकेले भी भोगना है।

चाणक्य के अनुसार जन्म लेने के बाद व्यक्ति को जो घर-परिवार और वातावरण प्राप्त होता है उसी के अनुसार वह कर्म करते रहता है। यदि कोई व्यक्ति अच्छे कर्म करेगा तो उसे इनके शुभ फल प्राप्त होंगे। वहीं यदि कोई व्यक्ति बुराई के कार्यों में लिप्त रहता है तो उसे इन सभी कार्यों के भयंकर परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। जन्म से मृत्यु तक हमें अच्छे-बुरे कर्मों के फल अवश्य ही प्राप्त हो जाते हैं।

कोई भी व्यक्ति यदि अपने निजी स्वार्थ के लिए या किसी और के लिए बुरा कार्य करता है तो यह निश्चित ही दुख देने वाली बात है। लेकिन जिन लोगों के लिए व्यक्ति अधर्म के मार्ग पर चलता है वे सभी लोग भी मृत्यु के समय उनका साथ छोड़ देते हैं। इसीलिए कभी भी किसी भी परिस्थिति में बुरे कार्यों से बचना चाहिए। हमेशा ऐसे कर्म करें जिनसे दूसरों का अहित न हो।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...