क्यूँ कहते हो
किसलियें
कहते हो ।
में भ्रष्ट हूँ
क्या हुआ
मेने हाथ बढ़ाकर
अपने उलझे हुए काम को
कराने के लियें
रिश्वत का हाथ बढ़ाना चाहा
आपने बिना
रिश्वत के
पहले मेरा काम न किया
जब मेने आपकी तरफ
रिश्वत की तरफ हाथ बढ़ाया
तो अपने भी तो
रिश्वत की इस बुराई से
अपना दामन न छुडाया ...............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
11 सितंबर 2011
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अच्छी रचना....
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