डॉक्टरों के अनुसार... इस प्रक्रिया को वैसे गलत नहीं कहा जा सकता। क्योंकि वीर्य अगर खानदान के ही किसी पुरुष का (मसलन भाई या पिता) इस्तेमाल किया जाए तो पैदा होने वाले बच्चे में पारिवारिक लक्षण भी दिखाई देते हैं। कई बार इस तरह के बच्चे में आंखें, स्वभाव और दिमाग के मामले में भी वंश के गुण शामिल रहते हैं।
चिकित्सकों के अनुसार भारत में इस मामले को भले ही अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता लेकिन विश्व भर की बात की जाए तो अधिकतर मामलों में बेटे ने पिता के वीर्य के उपयोग की ही बात पर जोर दिया है, ताकि बच्चे में वंश के लक्षण रहें।
हालांकि बच्चे पैदा करने के लिए परिवार के व्यक्ति के शुक्राणुओं का उपयोग का मामला अब विवादास्पद भी होता जा रहा है। इसे लेकर यह भी खबर है कि जल्द ही संसद में एक 'असिस्टेड रिप्रोडक्टिव बिलÓ पेश होने वाला है। इस बिल के अनुसार शुक्राणुओं का आदान-प्रदान अब परिवार के बीच नहीं हो सकेगा। परिवार का व्यक्ति परिवार में ही शुक्राणु प्रदान नहीं कर सकेगा और चोरी-छिपे ऐसा किया भी जाता है तो पकड़े जाने पर दोनों पक्षों को तीन साल की सजा का प्रावधान भी होगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)