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19 सितंबर 2011

अधिकार बढ़ते ही भेजा विवादों को न्यौता!

जयपुर.अफसरों से लगातार विवाद पर विराम लगाने के लिए सरकार ने सीईओ को निर्देश जारी किए हैं कि वे मेयर को पूरा महत्व दें। साथ ही अधिकारियों के सार्वजनिक वक्तव्य पर भी रोक लगा दी है। निर्देश के बाद मेयर ज्योति खंडेलवाल ने तुरंत वित्तीय व प्रशासनिक पत्रावलियां मंगवाने के लिए सीईओ को नोटशीट जारी कर दी।

जानकारों की मानें तो ये नोटशीट नए विवाद को जन्म देगी, क्योंकि सीईओ को 75 लाख तक के वित्तीय अधिकार सरकार ने पहले से दे रखे हैं।

राज्य सरकार के नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन विभाग के प्रमुख सचिव जीएस संधु की ओर से जारी आदेश में इस बात पर नाराजगी जताई गई है कि कई प्रकरणों में मेयर की जानकारी में नहीं लाए जाते हैं। साथ ही कहा गया है कि भविष्य में जब भी सरकार के निर्देशों के अनुसरण में कोई कार्यवाही की जाए उसे मेयर के ध्यान में लाया जाए।

मेयर की नोटशीट से विवाद

उधर, सरकार के आदेश के तत्काल बाद ही मेयर की ओर से वित्तीय व प्रशासनिक पत्रावलियां मंगवाने के लिए सीईओ को जारी नोटशीट से विवाद भी खड़ा हो गया है। नोटशीट में सीईओ को राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 8 व धारा 48 की उपधारा (1) के खंड (ग) का हवाला देते हुए निगरानी रखने के लिए पत्रावलियां भिजवाने के निर्देश दिए गए हैं। जानकारों की मानें तो सीईओ अपने अधिकारों में कटौती के लिए कतई तैयार नहीं होंगे।

बिल्डिंग के बाहर बोर्ड लगाना होगा, निगम से क्या परमिशन मिली
बिल्डिंग बनाने वाले को नगर निगम से मिली परमिशन अब जगजाहिर करनी होगी। निर्माणकर्ता को भवन के बाहर बोर्ड लगाना होगा, जिसमें क्या अनुमति मिली, आवासीय भवन है अथवा व्यावसायिक निर्माण किया जा रहा है। बिल्डिंग की हाइट क्या रहेगी, यह दर्शाना होगा।

साथ ही, 15 मीटर से अधिक ऊंची बिल्डिंग के निर्माण के बाद प्रमाण पत्र लेना आवश्यक होगा। ऐसा नहीं करने पर निगम निर्माण की अनुमति रद्द कर देगा। मेयर ज्योति खंडेलवाल ने इस संबंध में सीईओ के नाम आदेश जारी किए हैं। वहीं, सीईओ का कहना है कि नियमों का परीक्षण करने के लिए विधिक राय ली जाएगी उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

आदेश में क्या :

राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 194 (9) व 196 का हवाला दिया गया है। नगरपालिका क्षेत्र के भीतर निर्माण करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को भवन निर्माण के दौरान 4 गुणा 4 साइज का बोर्ड लगाना होगा। उसमें दर्शाया जाएगा कि निर्माणकर्ता का नाम, पता व टेलीफोन नंबर क्या है।

निगम से कब निर्माण की स्वीकृति मिली। भवन का क्या उपयोग होगा, कितनी मंजिलें होंगी, कितने क्षेत्र में निर्माण किया जाएगा और पार्किग की क्या व्यवस्था होगी। निर्माण शुरू करने और समाप्त करने की तारीख। स्वीकृति के विपरीत निर्माण पर 50 हजार तक जुर्माना और जब तक अवैध निर्माण नहीं हटाएगा, तब तक रोजाना 500 रुपए की पेनल्टी लगेगी।

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