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15 सितंबर 2011

आखिर इंसान जानवर क्यूँ बन जाता है

आखिर इंसान जानवर क्यूँ बन जाता है ..बरसों पुराने रिश्ते भुला कर क्यूँ नफरत की आग में जल कर देश में मारकाट पर उतर आता है क्यूँ राजनितिक लोगों का शिकार होता है और गाँव .कस्बे और शहरों में साम्प्रदायिक उन्माद भड़काता है .आज तक यह बीमारी किसी के समझ में नहीं आई और ना ही किसी ने इसका इलाज निकाला है ........दोस्तों पिछले दिनों कोटा के एक कस्बे मोड़क के पास जल झुलनी के जुलुस के दोरान कुछ उत्पातियों ने माहोल खराब किया उत्पाती दोनों पक्षों में थे और बाद में कुछ उत्पातियों की हरकतों का नतीजा यह निकला के दोनों समुदाय अलग अलग हिस्सों में बंट गए बरसों पुराना प्यार .बरसों पुराना विश्वास धरा का धरा रह गया और सभी एक दुसरे के दुश्मन हो गये एक समुदाय ने छोटे समुदाय के वाहनों को आग लगाई दुकाने जलाई और बाज़ार बंद करवा दिए ...कल हमने भी मोके पर जाकर हालात जाने लेकिन वहां कोई बहुपक्षीय नहीं था सब एक पक्षीय था हिन्दू हिन्दू की बात करता है और मुसलमान की बात करता हैं कोई हिन्दुस्तानी कोई भारत का नागरिक नहीं बनना चाहता था खेर समझाईश विफल रही पुलिस और प्रशासन ने बहतर प्रदर्शन कर कई खतरनाक घटनाओं को पहले ही रोक दिया फिर किया था एक विशेष गुट पुलिस प्रशासन का दुश्मन हो गया मोड़क तो बंद था ही फुटकर दुकानों को बंद करवाया जाने लगा ..कोटा भी बंद का आह्वान किया गया फिर हाडोती बंद कराने की धमकी दी बस समझाईश का दोर शुरू हुआ कोटा कलेक्टर जी एल गुप्ता और कार्यवाहक आई जी पी रामजी ने समझाइश करना शुरू की और फिर कामयाबी भी मिली कोटा बंद का आव्हान वापस लिया गया और फिर प्रशासन की बल्ले बल्ले ..लेकिन मेरी यह समझ में नहीं आता के रहना हम लोगों को आपस में ही एक दुसरे के साथ है फिर क्यूँ हम लोग एक दुसरे के खिलाफ जहर घोलते हैं बुरे लोग हर समुदाय में होते हैं और सभी लोगों को मिलकर गिनती के बुरे लोगों को नामजद कर उनका सामजिक बहिष्कार करना चाहिए उन्हें पुलिस के हवाले करना चाहिए ताकि साम्प्रदायिकता का जहर फेलाने वालों को कठोर दंड मिल सके खुदा जाने अब साम्प्रदायिकता के खिलाफ दोषी लोगों को दंडित करवाने उनका सामाजिक बहिष्कार करवाने के लियें कोई अन्ना कब आयेगा ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

3 टिप्‍पणियां:

  1. akhtar khan ji
    abhut hi prasangik vishhay uthaya hai aapne.sah !
    agar iska ilaaz ho jaata to phir insaan janvar bane hi kyon.
    samay ko charitarth krti aapkipost bhaut hi achhi lagi.
    duaa kijiye ki sab mil jul kar ekho jayen----
    aabhar
    poonam

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  2. आम आदमी कभी दंगा नहीं करता । ये तो कुछ खास आदमी होते हैं जो कराते हैं , अपने निहित्त स्वार्थ को पूरा करने के लिए ।
    छोटी सी जिंदगी में प्यार के लिए समय नहीं होता , फिर लड़ाई झगड़ों के लिए कहाँ समय है !

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  3. अकेला जी,
    हमारी दंड प्रणाली चुस्त दुरुस्त होती तो इतनी नौबत ही क्यूँ आए? लेकिन हमारे हुक्मरान डरते हैं कि यह चुस्त दुरुस्त हुई तो वे ही सब से पहले नापे जाएंगे।

    जवाब देंहटाएं

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