जयपुर। हर महीने मोटी तनख्वाह पाने के बावजूद ऊपरी कमाई के फेर में इंसान क्या-क्या नहीं करता। हाईटेक युग में 'ऊपरी कमाई' की आदत वाले अधिकारियों ने कसते शिकंजे के चलते रिश्वत लेने के भी नए तरीके ईजाद कर लिए हैं। कोई दलाल के मार्फत रिश्वत ले रहा है तो किसी ने गार्ड व चौकीदारों को माध्यम बना रखा है, लेकिन सोमवार को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के सामने अनूठा तरीका सामने आया।
19 हजार रूपए की रिश्वत लेते पकड़े शिक्षा संकुल परिसर स्थित प्रारंभिक शिक्षा विभाग में सहायक लेखाकार देवकी नन्दन गर्ग ने सिर्फ इशारों और केलकुलेटर के जरिए घूस लेने का तरीका ईजाद कर रखा था। गर्ग ने इशारों से रिश्वत तो ले ली, लेकिन डायरी में रखी रकम को जैसे ही जेब में धरा, एसीबी ने उसे दबोच लिया।
एसीबी के उपाधीक्षक महेन्द्र सिंह हरसाना के नेतृत्व में सोमवार शाम पौने छह बजे के आस-पास की गई इस कार्रवाई से शिक्षा संकुल में अफरा-तफरी मच गई और वहां अधिकारी व कर्मचारियों का मजमा लग गया। गर्ग को ट्रैप करने के बाद एसीबी ने उसके मंदिर मार्ग मानसरोवर स्थित मकान पर देर रात तक तलाशी चली।
डर था कोई टेप नहीं कर ले आवाज
एसीबी के मुताबिक किसी भी बिल को पास कराने की एवज में गर्ग अंगुलियों और केलकुलेटर में अंक लिख समझा देता था कि उसे कितनी रिश्वत चाहिए। उसे भय था कि अगर मोबाइल या आमने- सामने रिश्वत लेने की बात करेगा तो उसकी आवाज रिकॉर्ड की जा सकती है।
बेटे की सगाई टूट जाएगी- 19 हजार रूपए लेते पकड़े जाने पर गर्ग एसीबी टीम के सामने गिड़गिड़ाने लगा कि उसने रिश्वत नहीं ली, बल्कि उधार दी रकम ली है। बाद में कहने लगा कि उससे गलती हो गई। मेरी और मेरे परिवार की बदनामी होगी। बेटे की सगाई आ रही है, वो टूट जाएगी। माफी दे दो, आइन्दा रिश्वत नहीं लूंगा।
बिल पास कराना है तो 29 हजार दो
मिलन केटर्स के संचालक बलभद्र सिंह की शिकायत पर एसीबी ने गर्ग को पकड़ा। हरसाना ने बताया कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत होने वाले कार्यक्रमों में खाने की आपूर्ति बलभद्र करता था। गत वर्ष एक कार्यक्रम में 600 लोगों की प्लेट का ऑर्डर मिला, लेकिन खाने में साढ़े सात सौ प्लेट उठ गईं।
बिल पास करने के लिए गर्ग ने 75 प्लेट की रकम और पांच फीसदी कमीशन अलग से मांगा। एक प्लेट सवा दो सौ रूपए की थी। आश्वासन मिलने पर गर्ग ने बिल स्वीकृत कर दिए। बाद में केटरिंग संचालक रिश्वत देने से मुकर गया। इस साल बलभ्रद सिंह को फिर 630 प्लेट का ऑर्डर मिला। इस बार गर्ग ने यह कहते हुए बिलों पर रोक लगा दी कि पहले भी तय रकम नहीं दी। अब बिल तभी पास होंगे, जब पहले की रकम और नए बिलों की कमीशन राशि मिलेगी। गर्ग ने 29 हजार रूपए की रिश्वत मांगी। इसमें 10 हजार रूपए तो 26 अगस्त को दे दिए। शेष 19 हजार रूपए लेते समय गर्ग आज पकड़ गया।
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