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11 सितंबर 2011

केस के बावजूद नेताओं के हथियार में लग गई 'धार'

जयपुर.राज्य सरकार ने जनप्रतिनिधियों को छोटे-मोटे मुकदमों के आधार पर हथियार लाइसेंसों के नवीनीकरण नहीं रोकने के निर्देश दिए हैं।

नेताओं के खिलाफ रास्ता रोकने, प्रदर्शन करने सहित जुर्माने के प्रावधान वाली धाराओं में दर्ज मुकदमे विचाराधीन होने के बावजूद आर्म्स लाइसेंस रिन्यूअल रोकने से छूट दी गई है। गृह विभाग ने सभी कलेक्टरों और जयपुर व जोधपुर पुलिस कमिश्नरों को 1 सितंबर को यह आदेश भिजवाया है।

कलेक्टरों को भेजे निर्देशों में कहा गया है कि एमएलए, एमपी सहित जनप्रतिनिधियों के खिलाफ रास्ता रोकने, धारा 144 का उल्लंघन करने, राजकार्य में बाधा, धारा 145 सहित छोटी मोटी धाराओं में अगर मुकदमा विचाराधीन है तो ऐसे मामलों में उनके हथियार लाइसेंस नवीनीकरण नहीं रोके जाएं।

मुकदमा दर्ज हो तो नहीं हो सकता नवीनीकरण

लाइसेंसी हथियार रखने वाले को हर साल कलेक्टर से लाइसेंस का नवीनीकरण करवाना होता है। नवीनीकरण में यह अनिवार्य शर्त है कि उस व्यक्ति के खिलाफ कोई आपराधिक मुकदमा नहीं होना चाहिए। कानून में यह प्रावधान आम आदमी और जनप्रतिनिधियों के लिए समान रूप से लागू होता है।

आम आदमी को छूट नहीं

गृह विभाग के निर्देशों के बाद हथियार लाइसेंस नवीनीकरण के नियमों में आम आदमी और नेताओं के लिए अलग अलग प्रावधान होने से भेदभाव की स्थिति पैदा हो गई है। नेताओं और आम आदमी के लिए अलग प्रावधान होने को आधार बनाकर मामला कोर्ट में भी जा सकता है।

तो फिर नेताओं पर मेहरबानी क्यों?

गृह विभाग के आला अफसरों का तर्क है कि जनप्रतिनिधियों के लाइसेंस नवीनीकरण में राजनीतिक आधार पर दर्ज हुए मुकदमों के आधार पर अड़चन आने को लेकर कई जनप्रतिनिधियों ने आवाज उठाई थी। मामला गृह मंत्री तक पहुंचा था। राजनीतिक आधार पर दर्ज हुए मुकदमों में आर्म्स लाइसेंस नवीनीकरण में छूट देने का फैसला किया गया।

इन मामलों में नहीं रुकेगा नवीनीकरण

सांसदों-विधायकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 143, 145, 147, 151, 160, 166, 186, 188, 283, पीडीपीपी एक्ट की धारा 3, रेल्वे एक्ट की धारा 174 और नेशनल हाई-वे एक्ट के मामले या दूसरे कानूनों में कोई भी मुकदमा जिसमें केवल जुर्माने का दंड हो, उसके विचाराधीन होने की दशा में हथियार लाइसेंस नवीनीकरण नहीं रुकेंगे।

नेताओं को करने पड़ते हैं आंदोलन

"जनप्रतिनिधियों को रास्ता रोकने या धरना-प्रदर्शन जैसे आंदोलन करने पड़ते हैं। पुलिस केस दर्ज कर लेती है। ऐसे मुकदमों में जनप्रतिनिधियों के हथियार लाइसेंस नवीनीकरण नहीं रोकने का फैसला किया गया है।"

-पी.के. देब, अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह विभाग

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