आपका-अख्तर खान

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04 सितंबर 2011

हमारे देश के कुछ पदों पर बेठे लोग खुद को भगवान समझने लगे हैं

दोस्तों विश्व में जो भी जन्मा इंसान है वोह भगवान नहीं है और सच यह है के भगवान से गलतियाँ नहीं होतीं लेकिन इंसान गलतियों का पुतला होता है और इंसान से अगर गलती हो तो उसकी गलती सद्भाविक है या जानबूझ कर की गयी गलती है इसका पता लगाकर दोषी व्यक्ति को सज़ा देने से ही समाज में इमानदारी और सुरक्षा का संतुलन बन सकेगा .लेकिन दोस्तों विश्व की धरती पर एक हमारा देश हमारा हिंदुस्तान ऐसा है जहां कुछ ख़ास पदों पर बेठे लोगों ने खुद को भगवान समझ लिया है इन इंसानों ने सोच लिया है के वोह तो भगवान है और वोह गलती नहीं करते अगर गलतियाँ वोह कर भी ले तो यह तो उनका हक है और इसीलियें इसके लियें ना तो उनके खिलाफ जांच हो सकती है और ना ही इसका उन्हें दंड दिया जाना चाहिए .....तानाशाही और साम्न्त्वदिता का यह बुखार किसी एक को नहीं प्रधानमन्त्री जी ..राष्ट्रपति जी ..जज साहिबान .सी वी सी के आयुक्त ..सांसद महोदय ..मंत्री महोदय ..अधिकारी महोदय सहित कई पदों पर बेठे लोग खुद को खुदा समझ बेठे हैं और वोह खुद की करतूतों की जांच के बारे में सहमत नहीं हो रहे हैं ......हमारे देश में यह लोग जनता के रूपये से अपने चड्डी से लेकर खाने के सामन खरीदते हैं इनके घर का खर्चा एशो आराम जनता के पेसे से आता हैं इनको पद पर बिठाने के पहले इन्हें सपथ दिलवाई जाती है और यह लोग इसी शपथ को तोड़ कर जब अपराध करते हैं तो इनका कोई कुछ नहीं बिगड़ सके इसलियें इनके खिलाफ बन्ने वाले कानूनों का यह विरोध करते हैं ........दोस्तों आप सभी जानते हैं अन्ना की भ्रष्ट लोगों को सजा दिलवाने की लड़ाई अभी सिर्फ शुरू हुई है और सरकार और चोर लोगों ने अपनी कलाई करतूतें शुरू कर दी हैं .....देश में आई पी सी और दुसरे कई कानून बने है जिसमे आम आदमी द्वारा किये गए अपराध के लियें उन्हें सजा देने का प्रावधान है और इन्हीं कानूनों में सभी दुसरे प्रभावशाली लोगों को भी दंडित करने का प्रावधान है लेकिन उन्हें विशेष दर्जा देकर उनके खिलाफ कार्यवाही के पहले सरकार से इजाजत जरूरी बताई है और देश के लाखों ऐसे मामले है के सरकार ने बेईमान भ्रष्ट लोगों के खिलाफ प्रमाणित अपराध होने के बाद भी उक्द्मे की अनुमति नहीं दी है ऐसे में अगर यह शर्त हटा कर आम आदमी को सीधे किसी भी भ्रष्ट व्यक्ति चाहे वोह आम आदमी हो चाहे वोह प्रधानमन्त्री राष्ट्रपति या जज हो उसके खिलाफ परिवाद पेश कर कार्यवाही का मोका दिया जाए तो सभी लोगों में कानून का डर रहेगा और वोह भी अपना कम जनहित में ठीक तरह से करेंगे वरना पकड़े जाने पर उन्हें दंडित और लज्जित तो होना ही पढ़ेगा ....अब रहा सवाल झूंठे परिवाद पेश करने का तो हर मुकदमे में प्रसंज्ञान ,,चार्ज की स्टेज पर सुनवाई होती है अगर सबूत नहीं होंगे तो ऐसे लोग बरी हो जायेंगे और बरी होने पर मेलिशियास प्रोसिक्यूशन और मानहानि सहित क्षतिपूर्ति मामलों में ऐसे झूंठे परिवाद पेश करने वाले को भी दंडित करवाया जा सकेगा तो फिर यह पहल आज ही कर सभी कानूनों में कुछ लोगों के खिलाफ मुकदमा पेश करने के पहले सरकार या अधिकारी से स्वीक्रति की पाबंदी है या कुछ लोगों के खिलाफ मुकदमा पेश करने के पहले जो प्रोटेक्शन एक्ट बनाया गया है उस क्लोज़ को अगर हटा दिया जाए तो देश आज से ही स्वर्ग हो जाएगा आखिर यह कोनसा कानून है के देश की सवा करोड़ जनता में से कुछ ऊँचे पदों पर बेठे लोग उस कानून से मुक्त हो ऐसे कानून तो सिर्फ गुलामी और समंवादिता वाले जालिमों द्वारा ही बनाये जाते हैं ................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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