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11 सितंबर 2011

9/11: अमेरिका में 2500 से अधिक आतंकवाद के दोषी, इस साल 32 को सजा

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नई दिल्‍ली. दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी हमला 9/11 को आज 10 साल पूरे हो गए। इस हमले ने दुनिया में बहुत कुछ बदल दिया। 11 सितंबर 2001 को 19 आतंकवादियों ने चार हवाई जहाजों से तीन बड़े हमले किए। इसमें वर्ल्‍ड ट्रेड सेंटर पर 2982, पेंटागन में 125 और पेंसिल्‍वेनिया में 93 लोग मारे गए। ट्रेड सेंटर पर हमले के बाद 99 दिन तक आग धधकती रही। 3051 बच्‍चों ने माता पिता खो दिए। 14 लाख लोगों ने दहशत में हवाई टिकट रद्द करवाए, कार से गए।

आतंकवाद विरोधी नीति और आतंकवाद के मामलों से निपटने को लेकर अमेरिका काफी गंभीर दिखता है। 9/11 हमलों के बाद आतंकवाद से जुड़े 345 में 196 मामले कोर्ट में आए जिनमें 178 में दोषी ठहराया गया। हालांकि किसी को मौत की सजा नहीं दी गई।
इन दस वर्षों के दौरान अमेरिका में आतंकवादी घटनाओं के आरोप में करीब 3000 लोगों को गिरफ्तार किया गया और इनके खिलाफ आतंकवाद का मुकदमा चलाया गया। इनमें से 2500 से अधिक लोगों को आतंकवादी गतिविधियों का दोषी ठहराया गया। इसी तरह 1976 से लेकर अब तक 1266 दोषियों को सजा दी गई है। इस साल ही अमेरिका में 32 लोगों को सजा दी गई है।

क्‍या बदल गया?

सबसे बड़ा और बर्बर आतंकी नेटवर्क ध्वस्त। ओसामा बिन लादेन, अबू अल जरकावी, अब अल लिब्बी, अबू अल मासरी जैसे अलकायदा के शीर्ष आतंकी खत्म। बाकी बचे खालिद शेख मोहम्मद, उमर शेख जैसे कुख्यात गिरफ्तार।
दुनिया में सबसे ज्यादा जोर सुरक्षा पर

9/11 के बाद सभी देश हाई अलर्ट पर। अब सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता है। अमेरिका ने आतंक के खिलाफ लड़ाई में अर्थव्यवस्था की परवाह नहीं की। इस लड़ाई में पूरी दुनिया एकजुट।
आतंकियों की आर्थिक मदद रुकी अलकायदा और तालिबान को खाड़ी देशों से मिलती थी आर्थिक मदद। ज्यादातर लीबिया के राष्ट्रपति मुअम्मर गद्दाफी जैसे तानाशाहों से। लेकिन अरब देशों में आई जनक्रांति ने किया तानाशाही को खत्म।
दुनिया ने मान लिया पाक ही आतंक का गढ़
अमेरिका के दबाव में पाक आतंक के खिलाफ लड़ाई में साथ देने को विवश। लेकिन भारत के खिलाफ उसकी साजिशें जस की तस। ओसामा को शरण दी तो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने माना कि पाकिस्तान ही आतंक का गढ़।
लेकिन हमारे यहां हमले बढ़े, दुनिया में घटे
9/11 के बाद से भारत में आतंकी हमले लगातार बढ़े। उनकी तीव्रता भी बढ़ी। अति सुरक्षित संसद भवन भी हमले से नहीं बच पाया। मुंबई को तीन दिन तक बंधक बनाए रखा। यही नहीं आतंकियों ने मुंबई का झवेरी बाजार, दिल्ली के हाईकोर्ट को बार-बार निशाना बनाया। और सुरक्षा तंत्र को दी सीधी चुनौती।
क्या सबक सीखा?
1. देश की सुरक्षा पहले नागरिकों की प्राइवेसी बाद में।
2. आतंक पर हमेशा आक्रामक रहना होगा।
3. आतंक से मुकाबले की सबसे बड़ी शर्तखुफिया तंत्र का मजबूत होना
4. आतंक का ना मकसद, ना मजहब। कभी किसी भी समय हमला।
क्‍या पाया?
सुरक्षा और आविष्‍कार
ड्रोन: मानवरहित विमान, सटीक निशाना। पहली बार 7 अक्टूबर 2001 को मिशन पर निकला। 3 नवंबर 2002 को ड्रोन के जरिए पहली बार अलकायदा के आतंकियों से भरी कार का निशाना लगाया गया।
रैवेन : छोटे आकार का ड्रोन है। सैनिक हाथ से उड़ान पर भेज सकते हैं। 12 किमी तक उड़ान भर सकता है।
नैनो एअर व्हीकल: भविष्य का ड्रोन। हथेली के बराबर 10 ग्राम वजनी और 7.5 सेमी लंबाई। चिडिया के आकार का।
आयरन मैन : लोहे के इस ढांचे को पहन कर सैनिक 90 किलो वजन उठाकर 20 किलोमीटर बिना रुके जा सकते हैं। वे 12 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ भी सकते हैं।

क्या खोया?
अर्थव्यवस्थाचौपट हुई
आतंक के लिए जब अलकायदा एक डॉलर खर्च करता है तो अमेरिका को उसका जवाब देने के लिए 70 लाख डॉलर खर्च करने पड़ते हैं।
अमेरिका ने आतंकी नेटवर्क खत्म करने के लिए 140 लाख करोड़ रुपए खर्च किए।
2 करोड़ 55 लाख रु. से अलकायदा ने वर्ल्‍ड ट्रेड सेंटर की साजिश को अंजाम दिया।
2 करोड़ 55 लाख रु. से अलकायदा ने वर्ल्‍ड ट्रेड सेंटर की साजिश को अंजाम दिया।

सेहत:हवा में घुला जहर
410000 लोगों पर हुआ जहरीली हवा का असर।
2000 टन विषैली पदार्थ हवा में फैला टॉवर गिरने से।
55 बचाव कर्मी फेफड़े या अन्य तरह के कैंसर से मारे गए।

...और आम आदमी की जिंदगी
हवाई यात्रा:अमेरिका की तरह हमारे यहां भी उड़ान से डेढ़ घंटा पहले पहुंचना होता है। जांच के लिए कोट उतारना पड़ता है। सौ मिली से ज्यादा कोई तरल पदार्थ नहीं ले जा सकते। पानी भी नहीं।
खेती:वहां भारी मात्रा में खाद खरीदना आपको संदिग्ध बना सकता है। क्योंकि अमोनियम नाइट्रेट जैसी खाद से बम बनता है। हमारे यहां हाल ही में इस पर प्रतिबंध लगा।
फोटो आईडी:परिचय पत्र के लिए फोटो खिंचवाने का तरीका बदला। पासपोर्ट के लिए फोटो में आप मुस्कुरा नहीं सकते। हमारे यहां भी हवाई टिकट खरीदने से लेकर होटल बुकिंग के लिए फोटो आईडी जरूरी।
सीमा पार खरीददारी: अब कनाडा से अमेरिका जाने के लिए पासपोर्ट जरूरी है। अमेरिकी मॉल्स में खरीददारी करने के लिए पासपोर्ट जरूरी है। हमारे यहां भी सामान विदेश भेजने या मंगाने पर कड़ी जांच की जाने लगी है।

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