पुलिस की उपस्थिति में खोले गए ताले
जयपुर। राजस्थान क्रिकेट संघ (आरसीए) के ऑफिस पर पिछले 43 दिन से लगे ताले रविवार को खुल गए। 30 जुलाई को संजय दीक्षित गुट ने ऑफिस पर ताले लगा दिए थे, इसके बाद आरसीए अध्यक्ष सीपी जोशी गुट ने भी ताले जड़ दिए। दो दिन पहले दीक्षित ने उनके द्वारा लगाए गए तालों की चाबियां सरकार को सौंप दी थी। रविवार को ज्योति नगर थाना इंचार्ज मोहर सिंह पूनिया की उपस्थिति में ताले खोल दिए गए। पुलिस की उपस्थिति में ऑफिस के कागजातों की सूची बनाई गई, तो कई चैक बुक सहित कई महत्वपूर्ण फाइलें गायब मिलीं। यह सूची पुलिस को भी सौंप दी गई।
सरकार का दबाव पड़ा तो खुले ताले
ताले लगने के बाद पिछले डेढ़ महीने से आरसीए में काफी विवाद बढ़ गया था। इस बीच आरसीए की एजीएम में दीक्षित के सचिव पद से निलंबन पर मुहर भी लगा दी गई। 24 जिला संघ उनके खिलाफ थे। ऐसे में दीक्षित चारों तरफ से घिरने लगे थे। साथ ही ईरानी ट्रॉफी की मेजबानी छीने जाने के डर से सरकार पर भी ताले खुलवाने का दबाव बढ़ रहा था। भास्कर ने भी इस संबंध में एक सीरीज चलाई थी, जिसमें पूर्व क्रिकेटरों ने सरकार से ताले खुलवाने की मांग की थी।
सूत्रों की माने, तो इसके बाद ही दीक्षित को सरकार को चाबियां देनी पड़ी और ताले खुलने का मार्ग प्रशस्त हुआ। बताया जाता है कि उन्होंने मुख्य सचिव एस अहमद को चाबियां दीं, लेकिन अहमद ने इससे इनकार किया। आरसीए के कोषाध्यक्ष महेंद्र शर्मा से जब इस बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि हमारे पास तो प्रशासन चाबियां लेकर आया, प्रशासन को किसने दी। हमें नहीं पता। अच्छी बात यह है कि ताले खुल गए। हमारा पहला लक्ष्य ईरानी ट्रॉफी का सफल आयोजन करना है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
11 सितंबर 2011
43 दिन बाद खुले आरसीए ऑफिस के ताले
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