नई दिल्ली. वित्त मंत्रालय की तरफ से इसी साल मार्च में प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी गई चिट्ठी मौजूदा गृहमंत्री पी. चिदंबरम के लिए मुश्किलों का सबब बन गई है। निजी समाचार चैनलों के हवाले से खबरों के मुताबिक गृहमंत्री इस घटनाक्रम से इतने आहत हो गए हैं कि उन्होंने प्रधानमंत्री को इस्तीफे की पेशकश कर दी है।
खबरों के मुताबिक पी. चिदंबरम ने प्रधानमंत्री से बुधवार रात बातचीत के दौरान इस्तीफे की पेशकश की। चिदंबरम प्रणब मुखर्जी की तरफ से प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी गई चिट्ठी से बहुत दुखी हैं। लेकिन प्रधानमंत्री ने फोन पर हुई बातचीत में चिदंबरम से धैर्य बनाए रखने और उनके स्वदेश लौटने तक कोई बयान न देने को कहा है। पर अन्ना हजारे ने इसे लेकर एक बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर लोकपाल होता तो चिदंबरम को इस्तीफा देना पड़ता।
मनमोहन सिंह ने अमेरिका जाते समय विमान में 2 जी स्पेक्ट्रम मामले में पी. चिदंबरम का नाम आने के मुद्दे पर मीडिया से बातचीत में कहा, ‘इस मामले में फिलहाल अदालत में सुनवाई चल रही है। इसलिए इस पर सीधे तौर पर कुछ भी कहना उचित नहीं होगा, लेकिन चिदंबरम का कार्यकाल बेदाग रहा है। उन पर पार्टी और सरकार समेत सबको भरोसा है।’ प्रधानमंत्री अनौपचारिक बातचीत में कहा कि चिदंबरम को लेकर पार्टी, सरकार या यूपीए में किसी तरह की दरार नहीं है।
इस बीच, यूपीए सरकार के मंत्रियों ने चिदंबरम के बचाव और गृहमंत्री पर हो रहे विपक्ष के हमलों के जवाब में बयान देना शुरू कर दिया है। पहले केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा, 'चिदंबरम को इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है। अगर हम विपक्ष के कहने पर इस्तीफा देने लगें तो इससे भारत की छवि राजनैतिक रूप से अस्थिर लोकतंत्र की बनेगी।' प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री नारायण सामी ने बीजेपी के नेता मुरली मनोहर जोशी पर जुबानी हमला बोलते हुए कहा है कि गृह मंत्री के खिलाफ उन्हें बयान देने का कोई हक नहीं है। इससे पहले केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आज़ाद ने मीडिया पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री इस समय अमेरिका में हैं, ऐसे में देश की ऐसी खबरें दुनिया की नज़र में भारत की छवि खराब कर रही हैं।
दूसरी तरफ, एक नया खुलासा सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्री प्रणब मुखर्जी के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर सकता है। एक अंग्रेजी अख़बार के हवाले से आई खबर के मुताबिक मौजूदा वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने भी 2 जी स्पेक्ट्रम के मुद्दे पर पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा से कई बार बात की थी।
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक 2007-08 के दौरान जब 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला हुआ था, उस समय प्रणब मुखर्जी विदेश मंत्री के साथ-साथ स्पेक्ट्रम मुद्दे पर गठित किए गए मंत्री समूह के अध्यक्ष भी थे। 26 दिसंबर, 2007 को प्रधानमंत्री को लिखी गई चिट्ठी में ए. राजा ने बताया था कि उन्होंने प्रणब मुखर्जी के साथ इस मुद्दे पर कई बार बातचीत की है। इसके 15 दिन बाद 10 जनवरी, 2008 को टेलीकॉम लाइसेंस के लिए लेटर ऑफ इंटेट जारी कर दिए गए थे। राजा ने प्रधानमंत्री को बताया था कि 121 नए लाइसेंस और 35 डुअल टेक्नॉलजी लाइसेंस जारी करने से पहले प्रणब मुखर्जी से लंबी बातचीत हुई है।
राजा ने चिट्ठी के अंत में प्रणब मुखर्जी से बातचीत का जिक्र करते हुए लिखा था कि मुखर्जी से चर्चा के बाद मुझे इस मुद्दे (2 जी स्पेक्ट्रम) पर फैसले लेने में काफी आसानी हुई है। इस चिट्ठी के साथ एक अन्य चिट्ठी भी थी, जिसमें प्रधानमंत्री को पहले आओ पहले आओ नीति की राजा द्वारा गढ़ी गई नई परिभाषा की जानकारी दी गई थी। उसी दिन, मुखर्जी ने भी प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में मुखर्जी ने स्पेक्ट्रम मुद्दे पर अपनी राय प्रधानमंत्री को दी थी। इस चिट्ठी में कहीं भी प्रणब मुखर्जी ने बोली लगाए जाने या नए कारोबारियों के लिए बाज़ार आधारित मूल्य पर स्पेक्ट्रम बेचे जाने की बात नहीं लिखी थी।
इस चिट्ठी टॉप अप स्पेक्ट्रम के लिए सब्सक्राइबर आधारित मानक, अलग-अलग वर्गों में लाइसेंस दिए जाने और नीति को और ठोस बनाए जाने की बात कही गई थी। यह चिट्ठी कहीं भी राजा द्वारा उठाए जाने वाले कदमों का विरोध नहीं करती है। इसके एक हफ्ते बाद यानी 3 जनवरी, 2008 को राजा को प्रधानमंत्री की ओर से दो पंक्तियों का जवाब मिला, जिसमें राजा की प्रणब मुखर्जी के साथ बैठक और बिना नीलामी के स्पेक्ट्रम के आवंटन की जानकारी मिलने की बात कही गई थी।
इसके चार दिनों बाद दूरसंचार विभाग ने राजा द्वारा प्रधानमंत्री को लिखी गई चिट्ठी का हवाला देते हुए आवंटन की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। विभाग ने राजा द्वारा लिए गए फैसले को लाइसेंसिंग की नीति मान लिया था। बाद में राजा द्वारा प्रणब मुखर्जी के साथ हुईं बैठकों के संबंध में प्रधानमंत्री को लिखी गई चिट्ठी को दूरसंचार मंत्रालय ने नीतिगत फैसला मानते हुए 2 जी स्पेक्ट्रम का आवंटन कर दिया।
सोनिया देंगी दखल!
केंद्र सरकार में नंबर दो की हैसियत वाले वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और ताकतवर गृह मंत्री पी चिदंबरम के बीच चल रही खींचतान से सरकार और पार्टी का गणित बिगड़ता देख अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इस मामले में दखल दे सकती हैं। एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक इस घमासान से पार्टी और सरकार में जिस तरह से असहज स्थिति बनी है, उसे देखते हुए कांग्रेस अध्यक्ष, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और प्रणब की वापसी के बाद इस मसले पर बात करेंगी। इस बीच पूरे मामले पर गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने फोन पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बात की है। सूत्रों का कहना है कि पीएम ने चिदंबरम को धैर्य रखने की सलाह दी है। उधर, प्रणब की ओर से अभी तक चिदंबरम को राहत देने वाला कोई बयान नहीं आया है।
पार्टी के लिए आसान नहीं
कांग्रेस इस बार मसले को पहले से कहीं ज्यादा गंभीर मान रही है क्योंकि 2 जी का मामला सरकार के गले की फांस बन गया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अगर सुप्रीम कोर्ट वित्त मंत्रालय के नोट का संज्ञान लेता है तो स्थिति सरकार के लिए खराब हो सकती है। एक कांग्रेस महासचिव के मुताबिक, इस बार सरकार के नंबर दो मंत्री के महकमे की ओर से विवादित तथ्य सामने आए हैं। लिहाजा, यह आसानी से निपटने लायक मामला नहीं है। इसमें सोनिया के दखल और प्रधानमंत्री के स्पष्ट रुख की जरूरत है। पार्टी मान रही है कि आपसी खींचतान से सरकार की छवि पर असर पड़ रहा है। गौरतलब है कि 2 जी मामले में अभी तक पार्टी पूरा ठीकरा सहयोगी दल द्रमुक के सिर ही फोड़कर बचती रही है।
khabar ko vistaar se padhi. janlokpaal bill aa gaya hota to na jane kitno ki lutiya dubi hoti. aage aage dekhiye hota hai kya. mere blog par aane keliye bahut aabhar.
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