दरअसल इन दिनों राजधानी में सभी कपंनियों के मोबाइल नंबर पर +23 समेत दूसरी सीरीज के आईएसडी कोड के जरिए मिस कॉल आ रहे हैं। ये आईएसडी कोड मलेशिया का है। इस नंबर से सभी मोबाइल कंपनियों के ग्राहकों को लगातार मिस कॉल आ रहे हैं।
मिस कॉल आने पर संबंधित मोबाइल धारक जैसे ही उस नंबर पर वापस कॉल करता है, तो उसके बैलेंस से सौ रुपए से लेकर डेढ़ सौ रुपए कट जाते हैं। कॉल लगते ही दूसरी ओर आईवीआरएस (इंटरनल वाइस रिकॉर्डिग सिस्टम) शुरू हो जाता है। ये सिस्टम विदेशी भाषा में होता है और प्रति मिनट के हिसाब से मोबाइल धारक का पैसा लगना शुरू हो जाता है।
ट्राई को सिर्फ देश के भीतर कार्रवाई का अधिकार
इन विदेशी नंबरों से आने वाले कॉल्स पर शिकंजा कसने में मोबाइल कंपनियां और टेलीफोन रेग्यूलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई ) भी मजबूर नजर आ रही है। इसकी वजह यह है कि ट्राई का देश के अंदर कंपनियों पर कार्रवाई करने का अधिकार है। विदेशी टेलिफोन कंपनियों पर पर ट्राई का कोई नियंत्रण नहीं होता है। वहीं मोबाइल कंपनी भी शिकायत मिलने पर संबंधित नंबर को तो ब्लॉक कर सकती हैं, लेकिन उस सीरीज के सभी नंबरों को ब्लॉक करना उनके लिए संभव नहीं है।
पूरी तरह कमर्शियल होते हैं ये इंटरनेशनल कॉल
सायबर सेल आईजी राजेंद्र मिश्रा के मुताबिक इस तरह के इंटरनेशनल कॉल कॉमर्शियल होते हैं। लिहाजा साधारण कॉल की अपेक्षा इन कॉल्स की दर बहुत ज्यादा होती है। आईजी ने बताया कि विदेशी कॉल करने के दौरान जो भी बैलेंस खर्च होता है, उसका पचास फीसदी हिस्सा सर्विस प्रोवाइडर के खाते में जाता है।
उनका मानना है कि ऐसे कॉलर्स पर तभी कार्रवाई की जा सकती है, जब एमएएलटी (म्यूचुअल असिस्टेंस लीगल ट्रीटी) के जरिए उन पर रोक लगाने की कोशिश की जाए। हालांकि सायबर सेल को फिलहाल इस मामले में कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है
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