नई दिल्ली. अन्ना हजारे ने अपनी मांगें माने जाने पर 13वें दिन आखिरकार अनशन तोड़ दिया है। संसद ने अन्ना हजारे की शर्तें मानते हुए प्रस्ताव पारित कर दिया और 12 दिन से बिना अन्ना के रामलीला मैदान में बैठे सामाजिक कार्यकर्ता ने अनशन तोड़ने का ऐलान कर दिया। लेकिन उनकी इस घोषणा से महज एक घंटे पहले तक टीम अन्ना ने सरकार को साफ नहीं किया था कि उनका अगला कदम क्या होगा। केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख पीएम मनमोहन सिंह का संदेश लेकर अन्ना के पास रामलीला मैदान जाने की तैयारी में थे लेकिन सरकार और सिविल सोसायटी के बीच सुलह में अहम भूमिका निभाने वाले कांग्रेस सांसद संदीप दीक्षित इस इस घटना के नतीजे को लेकर निश्चिंत नहीं थे। उन्होंने कहा, ‘देखते हैं कि क्या होता है। जब तक टीम अन्ना कोई घोषणा नहीं करती, तब तक मैं कुछ नहीं कहूंगा।’
अन्ना को अनशन तोड़ने के लिए सरकार को भी खूब पापड़ बेलने पड़े। यहां तक कि एक वरिष्ठ मंत्री की आपत्ति दरकिनार कर प्रस्ताव में अन्ना की मांगों पर 'सिद्धांतत: सहमत' जोड़ा गया। प्रधानमंत्री के साथ बैठक में मौजूद इस मंत्री ने इसे टीम अन्ना के सामने एकदम हथियार डाल देने जैसी बात मान कर इस पर आपत्ति की थी। पर प्रणब मुखर्जी और मनमोहन सिंह ने आपत्ति अनसुनी करते हुए ड्राफ्ट में टीम अन्ना के मनोनुकूल भाषा शामिल की।
कई बार बदले मध्यस्थ
टीम अन्ना, मध्यस्थों और सरकार की ओर से गतिरोध दूर करने को लेकर उतारे गए मराठी चेहरे भी परिस्थितिवश बदलते रहे, लेकिन रोचक बात यह रही कि पूरे घटनाक्रम में शनिवार तक भय्यूजी महाराज और विलासराव देशमुख सरकार और अन्ना के बीच मध्यस्थ के रूप में बने रहे। हालांकि अन्ना से पारिवारिक रिश्तों के बावजूद भय्यूजी महाराज को टीम अन्ना के सदस्यों के अड़ियल रुख के चलते अन्ना को मनाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। पर देशमुख शनिवार रात में अन्ना के पास प्रधानमंत्री का पत्र लेकर भी गए।
गत रविवार से केंद्र की ओर से महाराष्ट्र सरकार के प्रशासनिक अधिकारी उमेश सारंगी, भय्यूजी महाराज और केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख को मैदान में उतारा गया था। शुक्रवार को टीम अन्ना की ओर से मेघा पाटकर ने देशमुख पर सवाल खड़े कर दिए। सूत्रों के मुताबिक बार-बार अनशन टूटने की बात बनते-बनते बिगड़ने के कारण सरकार और मध्यस्थों की ओर से अरविंद केजरीवाल की भूमिका पर सवाल उठाए गए। इसके बाद तय हुआ कि गतिरोध दूर करने को लेकर सरकार, मध्यस्थ और टीम अन्ना की निर्णायक बातचीत में उनकी जगह किसी और को भेजा जाए। इस पर शुक्रवार देर रात अन्ना की तीन मांगों पर सदन में प्रस्ताव पास कराने की रणनीति को लेकर सलमान खुर्शीद के आवास पर हुई निर्णायक बैठक में टीम अन्ना की ओर से प्रशांत भूषण, मेघा पाटकर, भय्यूजी महाराज शामिल हुए। इसके बाद भय्यूजी ने शनिवार को अन्ना का अनशन टूटने के संकेत दे दिए थे।
अन्ना की मांगों के प्रस्ताव को सदन में पास कराने के लिए शनिवार सुबह टीम अन्ना के सदस्य मेधा पाटकर, प्रशांत भूषण और भय्यूजी महाराज की पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी से बैठक हुई। बाद में मेधा पाटकर और भय्यूजी की सलमान खुर्शीद से एक और बैठक हुई। तय हो गया था कि अन्ना दोपहर तीन बजे तक अनशन तोड़ देंगे। लेकिन दोपहर में अचानक प्रस्ताव लाने पर बवंडर के बाद बात बिगड़ती दिखी।
कैसे बदले चेहरे :केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और पी चिदंबरम के नाम पर ऐतराज के कारण सरकार ने इन्हें आगे नहीं किया। लेकिन सिब्बल पर्दे के पीछे भय्यूजी महाराज से संपर्क में बने रहे। फिर सलमान खुर्शीद और संदीप दीक्षित सरकार की ओर से बातचीत के लिए आगे किए गए और बात केंद्रीय मंत्री प्रणव मुखर्जी पर आकर टिकी।
पर्दे के पीछे, कब-क्या शुक्रवार रात खींचा गया खां का- शुक्रवार रात केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद के आवास पर हुई प्रशांत भूषण, मेघा पाटकर और भय्यूजी महाराज की बैठक में अन्ना की तीन मांगों पर सदन में प्रस्ताव पास कराने को लेकर रणनीति तैयार हुई और एक खां का खींचा गया। इसके बाद भय्यूजी ने शनिवार को अन्ना का अनशन टूटने के संकेत दिए।
शनिवार सुबह भी चलती रही कवायद
अन्ना की तीन मांगो के प्रस्ताव को सदन में पास कराने और अनशन तुडवाने के मसले पर प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के सहयोग के लिए शनिवार सुबह टीम अन्ना के सदस्य मेघा पाटकर, प्रशांत भूषण और भय्यूजी महाराज की पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी के साथ बैठक हुई।
सलमान खुर्शीद से फिर बैठक
शनिवार को टीम अन्ना की ओर से मेघा पाटकर और भय्यूजी की केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद के साथ एक ओर बैठक हुई। जिसमें लगभग तय हो गया था कि अन्ना दोपहर तीन बजे तक तोड़ देंगे। लेकिन दोपहर में अचानक प्रस्ताव लाने को लेकर उठे बवंडर के बाद बात बिगड़ती दिखी और फिर भय्यूजी ने फोन पर खुर्शीद से बात की।
सरकार, मध्यस्थ और टीम अन्ना के कैसे बदले चेहरे
बारह दिनों के अन्ना के अनशन को तुड़वाने को लेकर सरकार की ओर से देखें तो टीम अन्ना की ओर से कपिल सिब्बल और चिदंबरम के नाम पर ऐतराज के कारण सरकार ने इन्हें आगे नहीं किया। लेकिन सिब्बल पर्दे के पीछे मध्यस्थ भय्यूजी महाराज से संपर्क में रहे। फिर सलमान खुर्शीद और संदीप दीक्षित सरकार की ओर से बातचीत के लिए आगे किए गए और बात प्रणब मुखर्जी पर आकर टिकी। इस बीच अन्ना की मराठी मंत्री को भेजे जाने की मांग पर सरकार ने विलासराव को आगे किया। वे भी एक दिन सामने आकर पर्दे के पीछे चले गए। हालांकि उन्होंने शुक्रवार को फोन पर अन्ना से चर्चा की।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
28 अगस्त 2011
अंदर की बात: मनमोहन थे सहमत, पर ड्राफ्ट की भाषा पर एक मंत्री ने की थी आपत्त
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