टेलर और उनकी टीम इंसानी कोशिकाओं से ही यह दिल विकसित कर रही है। इसके लिए उन्होंने दान किए गए असली दिल से सभी तरह के पदार्थ हटाकर सिर्फ मूल ढांचा बचा रहने दिया। इसके बाद एक अन्य व्यक्ति की मांसपेशियों से मूल कोशिकाएं (स्टेम सेल) लेकर इस ढांचे में डाल दीं।
इन मूल कोशिकाओं ने ढांचे के इर्द-गिर्द फिर से दिल की तरह आकार लेना शुरू कर दिया। डॉ. टेलर के मुताबिक, अगर प्रयोग पूरी तरह सफल रहा तो भविष्य में जिस व्यक्ति में दिल का ट्रांसप्लांट किया जाना है, उसी की कोशिकाओं से नया दिल विकसित कर उसमें लगाया जा सकता है। ऐसे में शरीर नए दिल को आसानी से स्वीकार कर लेगा। इसके बाद लिवर, किडनी और फेंफड़े जैसे अंगों का भी विकास संभव हो सकेगा।
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