चालान में सीबीआई ने कहा कि जांच में पाया कि आरोपी इंस्पेक्टर बिना रिश्वत के कोई काम नहीं करता और उसे सहायक कमांडेंट से पदावनत कर रिजर्व इंस्पेक्टर बनाया गया था। उसके खिलाफ सीआईएसएफ के जवान एम. राजा बाबू ने शिकायत की थी।
इसमें कहा था कि उसका एवं तीन अन्य सिपाही अब्दुल हमीद, एम.नरेश व वी.गणोश का चयन आंध्रप्रदेश पुलिस में सिपाही के पद पर हो गया। वे रिजर्व इंस्पेक्टर खान से मिले और उनका त्याग पत्र स्वीकार करने की जानकारी दी। खान ने कहा कि पुलिस में नौकरी लगने से त्यागपत्र स्वीकार नहीं होता, घरेलू कारण बताकर प्रार्थना पत्र दें।
उन्होंने 30 मार्च, 2011 को घरेलू कारण बताकर त्यागपत्र का प्रार्थना पत्र पेश किया तो वह स्वीकार नहीं हुआ। वे 3 अप्रैल, 2011 को इंस्पेक्टर से मिले तो एक जने से 30 हजार रुपए रिश्वत मांगी, बाद में चारों से 25 हजार रुपए के हिसाब से एक लाख रुपए रिश्वत मांगी। खान ने चारों को 4 अप्रैल, 2011 को अपने कमरे पर बुलाया और दुबारा प्रार्थना पत्र लिखवाया। सीबीआई ने खान को 5 अप्रैल, 2011 को एक लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया।
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