हाँ
में सड़क पर
बेबस, लाचार
मजनू की तरह
उनकी याद में
यूँ ही भटक रहा था .....
मजनू समझ कर
मुझे दीवाना समझ कर
यूँ ही
लोगों ने मुझ पर
पत्थर बरसाए
मुझे किया लहू लुहान
फिर भी
जख्मों में दर्द न हुआ
बस
एक पत्थर
हाँ एक पत्थर
जो लगा मेरे दिल पर
वोह उन्होंने फेंका था
बस उसी पत्थर
की चोट के दर्द से
आज भी में तडप रहा हूँ ...........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
10 अगस्त 2011
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Umda .
जवाब देंहटाएं*मुझे जानिये मेरी तहरीर के आईने में :*
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bahut sundar...rachana...is rachana ka dard dikhai de raha hai..
जवाब देंहटाएंaabhar..
swagat hai aapka mere blog par,,
आप भी युग धर्म का ध्यान रखियेगा :)!
जवाब देंहटाएंक्या बात कही है।
जवाब देंहटाएं------
डायनासोरों की दुनिया
ब्लॉग के लिए ज़रूरी चीजें!
आज आपका दिल धड़क रहा है नई पुरानी हलचल में यकीन नही तो खुद ही देखिये... चर्चा में आज नई पुरानी हलचल
जवाब देंहटाएंगहन बात कही पत्थर के मध्यम से ..
जवाब देंहटाएंक्या बात कही अख्तर भाई...
जवाब देंहटाएंसादर...