मणिपुर से विवादित सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम 1958 (एएफएसपीए) को वापस लेने की मांग के साथ शर्मिला अनशन कर रही हैं। इस अधिनियम के तहत सशस्त्र बलों को यह अधिकार मिलता है कि वे संदेह के आधार पर किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं या शूट कर सकते हैं। टीम अन्ना के सदस्य और असम के आरटीआई एक्टिविस्ट अखिल गोगोई ने बताया कि जैसे ही हजारे स्वस्थ होते हैं, वे गुवाहाटी में बड़े बांधों के खिलाफ रैली में भाग लेने यहां आ सकते हैं।
वे इम्फाल भी जाएंगे और शर्मिला के आंदोलन को समर्थन देंगे। यह फैसला टीम अन्ना की कोर कमेटी की बैठक में लिया गया। इसी साल गुवाहाटी में भ्रष्टाचार के खिलाफ रैली में हजारे ने शर्मिला के साथ जुड़ने की इच्छा जाहिर की थी। इसी के फॉलोअप के रूप में गांधीवादी विचार की इम्फाल यात्रा होगी। शर्मिला के भाई इरोम सिंघजित का कहना है कि हजारे के आने से हमारी उम्मीदों में चमक आएगी।
एएफएसपीए विद्रोहियों को ही नहीं बल्कि हर आदमी को प्रभावित कर रहा है। दस नागरिकों की सुरक्षा बलों के हाथों मौत के बाद वर्ष 2000 में शर्मिला ने अनशन शुरू किया था। मानवाधिकार कार्यकर्ता शर्मिला का वजन घटकर 37 किलो रह गया है। उन्हें दिन में दो बार बलपूर्वक नाक से विटामिन और पोषक तत्वों का कॉकटेल दिया जा रहा है। पिछले हफ्ते टीम अन्ना ने शर्मिला को दिल्ली की रैली में भाग लेने का न्यौता दिया था।
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