कैदी जेल से गवाहों को धमकाते हैं। अजमेर जेल के हालात किसी से छुपे नहीं हैं। सरकार को भी बता दिया है। तत्कालीन जेल अधीक्षक को हटाने से काम खत्म नहीं हुआ। अब तक यह क्यों पता नहीं लगा कि आखिर मेरे बेटे के हत्यारे को छोड़ने के पीछे किसका हाथ है? जवाब नहीं ढूंढा तो फिर किसी के बेटे की खुलेआम हत्या होगी। वे खुद सवाल करते हैं कि यदि उनकी जगह आम आदमी होता तो उसकी क्या दशा होती। उसकी तो लाश नसीब होना भी मुश्किल हो जाता। ये घटनाएं आज भी राज्य में यहां-वहां आम आदमी को हिला कर रख देती हैं।
क्या जवाब दूं पोते, पोतियों को : सिनोदिया चश्मे के नीचे से झरते आंसुओं को पोछते हुए बताते हैं कि मृतक बेटे की एक बेटी 12वीं में पढ़ रही है तो दो बेटे छठी और आठवीं में। वे मासूम मुझसे कुछ ना पूछकर भी पल-पल बहुत कुछ पूछ रहे हैं। मैं उन्हें अब तक कोई जवाब ना दे सका। जब भावनाओं पर काबू न रख सका तो इस मुद्दे को सदन में उठा दिया। सिनोदिया को फफकते देख कांग्रेस विधायक ममता भूपेश भी कुछ देर उन्हें ढांढ़स बंधाने पहुंचीं।
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