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17 अगस्त 2011

अन्‍ना को तिहाड़ भेजा जाना प्‍लान में नहीं था शामिल, सरकार भी हैरान!


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नई दिल्‍ली. अन्‍ना हजारे को तिहाड़ जेल भेजे जाने का फैसला जन लोकपाल बिल की मांग कर रही टीम अन्‍ना से निपटने की ‘योजना’ का हिस्‍सा नहीं था। यहां तक कि सरकार को भी यह खबर सुनकर हैरानी हुई। सूत्रों का कहना है कि योजना के मुताबिक हजारों को कुछ घंटों तक पुलिस हिरासत में रखना था ताकि विरोध-प्रदर्शन को उस वक्‍त शांत किया जा सके। दिल्‍ली पुलिस के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक उन्‍होंने इस बात का डर था कि अन्‍ना को गिरफ्तार करने से शहर में अशांति फैल जाएगी और इससे कानून-व्‍यवस्‍था बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा।

दिल्ली में राहुल गांधी ने पीएम समेत तमाम अन्य शीर्ष नेताओं के साथ अन्ना के मुद्दे पर चर्चा की। सूत्र बताते हैं कि राहुल अन्‍ना को गिरफ्तार किए जाने के खिलाफ थे।

अन्‍ना को रिहा करने का फरमान मंगलवार देर शाम तिहाड़ जेल पहुंच गया लेकिन अन्‍ना ने रिहा होने से इनकार कर दिया। अन्‍ना के सामने दो विकल्‍प रखे गए। पहला, तीन दिन अनशन कर लें या फिर अपने गांव (रालेगण सिद्धि) चले जाएंगे लेकिन हजारे की मांग है कि उन्‍हें बिना शर्त रिहा किया जाए और जेपी पार्क में अनशन की इजाजत दी जाए तभी वो जेल से बाहर जाएंगे। ऐसी स्थिति में उन्‍हें जेल में एक कैदी की तरह रखना मुमकिन नहीं था और अन्‍ना बाहर निकलने को राजी नहीं थे। जेल प्रशासन ने उन्‍हें तिहाड़ में प्रशासनिक ब्‍लॉक में एक क्‍वार्टर में रखा है जो किसी अधिकारी का है और वह कुछ दिन पहले यहां से ट्रांसफर हुए हैं।

ताकत का दुरुपयोग!
अन्ना हजारे को सीआरपीसी की धारा 107/151 के तहत गिरफ्तार करने को कानून के जानकार पूरी तरह से अवैध बता रहे हैं। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि पुलिस ने जो कदम उठाया है, वह पावर का मिस यूज है। पुलिस उक्त धारा के तहत अन्ना हजारे को गिरफ्तार ही नहीं कर सकती। यह पूरी तरह से असंवैधानिक है। कुछ यही राय खुद दिल्ली पुलिस के अधिकारियों की भी है, लेकिन वे ऑन रिकॉर्ड कुछ भी नहीं कह रहे हैं। पुलिस अधिकारियों ने यह भी आशंका जताई है कि सही तरीके से उच्च न्यायालय या फिर सुप्रीम कोर्ट के सामने इस मुद्दे को रखा जाए तो बहुत हद तक संभव है कि अदालत पुलिस के खिलाफ ठोस कदम उठा सकती है।

निषेधाज्ञा का उल्‍लंघन करने की धमकी देने के बाद अन्‍ना को गिरफ्तार किया गया। सूत्रों के मुताबिक यह आश्‍वस्‍त होने के बाद कि अब टीम अन्‍ना इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका करेगी इसपर निर्णय आने के बाद ही दिल्‍ली पुलिस कोई फैसले करेगी। इसलिए अन्‍ना के रिमांड के लिए अर्जी नहीं दी और शाम तक मजिस्‍ट्रेट को सूचित किया गया कि यदि अन्‍ना और उनके सहयोगियों को रिहा किया जाता है तो उन्‍हें कोई आपत्ति नहीं होगी।

अन्ना हजारे को गिरफ्तार करने के बाद दिल्ली पुलिस को उनके समर्थकों की भीड़ को हटाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। यही कारण रहा कि पुलिस सुबह से लेकर दोपहर तक अन्ना की टीम को इधर से उधर ले जाती रही। पुलिस ने अन्ना हजारे को बुधवार सुबह साढ़े सात बजे गिरफ्तार किया, जिसके बाद पुलिस उन्हें पहले सिविल लाइंस स्थित जीओएस मेस लेकर आई। जैसे ही इसकी भनक समर्थकों को लगी, वे जीओएस मेस के बाहर एकत्र होने लगे। लेकिन, जब भीड़ बढ़ने लगी तो पुलिस ने आनन-फानन अन्ना को पश्चिमी जिला डीसीपी ऑफिस में ले गई। वहीं पर पूर्वी जिला के स्पेशल एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट को बुलाया गया और अन्ना हजारे व उनके सात साथियों को पेश किया गया।

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