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03 अगस्त 2011

महंगाई पर नूराकुश्ती :चर्चा के बावजूद महंगाई बढ़ती जा रही है

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नई दिल्ली. लोकसभा में विपक्ष ने महंगाई पर काबू पाने में असफल रहने और भ्रष्टाचार को लेकर यूपीए सरकार की कड़ी आलोचना की। आरोप लगाया गया कि सरकार की आर्थिक और वित्तीय नीतियों के कारण करोड़ों लोग गरीबी की रेखा से नीचे हैं। आम आदमी पूरी तरह उपेक्षित है।  भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने महंगाई पर चर्चा की शुरुआत की। सिन्हा ने कहा कि यह 12 वीं बार है जब सदन महंगाई पर चर्चा कर रहा है। विपक्ष के जोरदार आरोपों पर बीच-बीच में सत्ता पक्ष की ओर से भी बचाव की कोशिश की गई। दो दिन के विपक्ष के हंगामे के बाद सरकार मतविभाजन के प्रावधान वाले नियम 184 के तहत महंगाई पर चर्चा करने के लिए तैयार हुई है। बहस गुरुवार को भी होगी।
 सरकार और विपक्ष के बीच यह सहमति हुई कि प्रस्ताव में सरकार को सीधे दोषी नहीं ठहराया जाएगा बल्कि महंगाई की स्थिति पर चिंता जताई जाएगी जिससे पूरा सदन इससे जुड़ सके। प्रस्ताव में कहा गया कि सदन में बार-बार चर्चा के बावजूद महंगाई बढ़ती जा रही है। यह सदन सरकार से महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए असरदार कदम उठाने का आग्रह करता है।
 हालांकि सहमति होने के कारण चर्चा के बाद विपक्ष के मतविभाजन की मांग पर जोर देने की संभावना नहीं है।

पांच करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए : यशवंत
> सरकार हर दो महीने बाद कहती है कि महंगाई घट जाएगी, लेकिन आज तक घटी नहीं।
> हालात यह हैं कि पांच करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं।
> क्रिसिल रिपोर्ट का हवाला, ३ साल में महंगाई से घरेलू खर्च 6 लाख करोड़ रुपए बढ़ गया, जबकि सरकार का कुल राजस्व 6.5 लाख करोड़ है।
> सरकारी गोदामों में 6.5 करोड़ टन अनाज है, समस्या खाद्यान्न उपार्जन में नहीं, बल्कि खाद्यान्न जारी करने की नीति में है।
> महंगाई से निपटने का जिम्मा रिजर्व बैंक को दे दिया है। बैंक 11 बार ब्याज दरें बढ़ा चुका है।
पिछले साल से कम हुई महंगाई : खुर्शीद
> महंगाई थामने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिनमें आयात शुल्क घटाना और दाल व चावल के वायदा कारोबार पर अस्थाई रोक लगाना आदि शामिल हैं।
> महंगाई दर पिछले साल १५.७४% थी, जो अब ८.४५% है। हर बार मानसून अच्छा नहीं होता है, इसका नुकसान भी हमें होता है।
> दिसंबर के बाद महंगाई बढ़ी है, लेकिन इसका कारण वैश्विक स्तर पर पेट्रो पदार्थो के दाम बढ़ना है।
> विपक्ष का यह आरोप गलत है कि सरकार   महंगाई की अनदेखी कर विकास कर रही है। हम उतना ही विकास चाहते हैं, जिससे गरीबों का भला हो।
> ग्रामीण रोजगार, इंदिरा आवास योजना और शिक्षा का अधिकार आदि सरकारी योजनाएं आर्थिक सुधारों के कारण ही लागू हो पाई हैं।
गरीब आज भी गरीब है
गरीब आदमी आज भी वहीं है जहां 60 साल पहले था। टेलीकॉम टावरों को चलाने के लिए सालाना 1700 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी जा रही है। यह सब्सिडी किसानों को दे दी जाए तो हालात बदल जाएंगे।
 -शरद यादव, जेडीयू प्रमुख
वायदा पर रोक क्यों नहीं?
सरकार दो तरह की बातें कर रही है। इससे सटोरियों को बढ़ावा मिल रहा है और महंगाई बढ़ रही है। वायदा कारोबार पर रोक क्यों नहीं लगाई जा रही है। इससे किसानों या आम आदमी को क्या लाभ है।
 -रघुवंश प्रसाद सिंह, राजद

भाजपा ने बरती नरमी
भाजपा ने इस मसले को लेकर सरकार के साथ नरमी बरती है। महंगाई सरकारी नीतियों में खेती,  किसानों की उपेक्षा और वायदा व्यापार, कालाबाजारी, जमाखोरी और खाद्यान्न निर्यात रोकने में अनिच्छा का परिणाम है। 
-गुरुदास दासगुप्ता, भाकपा
उद्योगों पर चिंता क्यों नहीं
किसानों की उपज के दामों में वृद्धि होने पर भारी हंगामा मचाया जाता है लेकिन उद्योगों में बनने वाली वस्तुओं के दामों में भारी वृद्धि हुई है। उसे लेकर विपक्ष क्यों चिंतित नहीं है?
-के. एस. राव, कांग्रेस
कांग्रेस

आपकी राय
क्या आप महंगाई पर विपक्ष के सवालों पर सरकार के जवाब से संतुष्ट हैं? जरूरी चीजों के दाम से परेशान आम आदमी के सवालों का जवाब मिल गया है? इन मुद्दों पर अपनी राय जाहिर करें।

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