आपका-अख्तर खान

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04 अगस्त 2011

में जानता हूँ ........

में जानता हूँ ........
मोत सियाह 
काली रात से भी 
डरावनी है 
मोत गमगीन होती है 
बस यूँ ही 
कुछ बेवफाई 
रही है तेरी मुझ से 
इसीलिए देख ले 
तेरे सामने 
ज़हर भरे 
जाम पर जाम 
पिए जा रहा हूँ में .....................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी यह उत्तम रचना सोमवार को हमारे साथ आप देख सकते हैं ब्लॉगर्स मीट वीकली में। आपका स्वागत है।
    http://www.hbfint.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं

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