बोस्टन। साइबर हैकिंग या अटैक कोई नई बात नहीं, लेकिन अब दुनिया के सबसे बड़े साइबर हमलों का खुलासा हुआ है। साइबर सुरक्षा की अग्रणी कंपनी मैक्फी के अनुसार दुनिया के 70 से अधिक प्रतिष्ठानों के कंप्यूटर नेटवर्क को बाधित और उनसे डाटा चोरी किया गया है। जिन देशों पर ये साइबर हमला हुआ, उनमें भारत भी शामिल है।
मैक्फी के अधिकारियों का साफ तौर पर कहना है कि ये साइबर हमलों की ये घृणित हरकत चीन ने की है। ये पहली बार नहीं है, जब किसी साइबर सुरक्षा कंपनी या एजेंसी ने हैकिंग के लिए साफ तौर पर चीन को जिम्मेदार ठहराया हो, लेकिन चीन हमेशा इस तथ्य के पुख्ता सबूत होने के बाद भी इसे नकारता आया है।
नापाक नजर कहां
हैकर्स ग्रुप की नजर मुख्य तौर पर भारत और अमरीका के दूरसंचार उपग्रह, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्राकृतिक गैस कंपनियां और सबसे संवेदनशील रक्षा उद्योग पर हैं। हालांकि, मैक्फी ने हैकिंग की शिकार किसी भी संस्था का स्पष्ट तौर पर नाम नहीं बताया है, लेकिन ये माना जा रहा है कि ये दोनों देशों के बड़े संस्थान हैं।
फिलहाल चुप्पी
साइबर अटैक के इस बड़े मामले के खुलासे के बाद भी किन्हीं कारणों से किसी भी संस्थान ने सार्वजनिक रूप से कोई बयान नहीं दिया है। माना जा रहा है कि इस मामले की गहन तफ्तीश के बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी। समाचार एजेंसी एपी ने जरूर कहा है कि उसके संस्थान पर साइबर अटैक पिछले 21 महीनों से जारी है।
गूगल भी सुरक्षित नहीं
चीन की हरकतों का आलम देखिए कि गूगल जैसे विश्व के सबसे बड़े सर्च इंजन को उसने निशाना बनाया। पिछले साल गूगल ने आरोप लगाया कि चीन के सरकार समर्थित हैकर समूह ने उसके संवेदनशील दस्तावेज हैक कर लिए हैं। गूगल ही क्यों इसके अलावा कई अन्य कंपनियों ने भी ऎसे ही आरोप प्रमाणों के साथ लगाए।
किन पर हुआ हमला
भारत
अमरीका
हांगकांग
दक्षिण कोरिया
कनाडा
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक
कमेटी
समाचार एजेंसी
एपी
संयुक्त राष्ट्र सचिवालय
अमरीकी ऊर्जा विभाग प्रयोगशाला
अमरीकी रक्षा विभाग में
12 स्थान
1998 से हैकिंग कर रहा है चीन
72 संस्थान ताजा हमले के शिकार
49 अकेले अमरीकी संस्थान
20 बिलियन डॉलर का हर साल घाटा
14 पेज की है मैक्फी की रिपोर्ट
किसकी क्या तैयारी
अमरीका ने साइबर अटैक से निपटने के लिए करीब 100 मिलियन डॉलर खर्च कर एक विशेष अभियान शुरू किया है। उसने पेंटागन के अधीन एक अमरीकी साइबर आर्मी गठित की है, जिसका प्रमुख एक तीन स्टार जनरल रैंक का अधिकारी है।
भारत की बात करें तो अगस्त 2010 में केंद्र सरकार ने साइबर विशेषज्ञों की सहायता से एक दल का निर्माण करने का निर्णय किया, जो इस तरह के मामलों से निपटेगा। इस मामले में खुफिया एजेंसियों के प्रमुखों से सलाह मशविरा भी किया जाएगा।
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