जनता दल (यू) के शरद यादव ने भ्रष्टाचार की बढ़ती घटनाओं पर विशेष चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि संसद ने हमेशा भ्रष्टाचारियों की पोल खोलने का काम किया है और विपक्षी दलों के दवाब के कारण ही आज कई राजनीतिक नेता जेल की हवा खा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सिविल सोसाइटी के सदस्य इस लड़ाई में शामिल हुए हैं।हम उनका स्वागत करते हैं लेकिन यह काम निर्वाचित प्रतिनिधियों को बदनाम करके नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वर्ष 1991 में उदारीकरण की नीति लागू होने के बाद से राजनीतिक लोगों को बदनाम करने का अभियान शुरू हो गया है और सिविल सोसाइटी के आंदोलन से इसमें और तेजी आई। सिविल सोसाइटी के लोग सांसदों के घरों के सामने प्रदर्शन कर उन्हें अपनी टोपी पहनाने का काम कर रहे हैं जो सही नहीं है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह से निर्वाचित प्रतिनिधियों को अपराधी और बेईमान बताया जा रहा है वह ठीक नहीं है। यदि इस पर अंकुश नहीं लगाया गया तो संग्राम हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार जांच कराकर यह स्पष्ट करे कि सदन के कितने सदस्य अपराधी हैं और कितने के विरुद्ध राजनीतिक मामले चल रहे हैं। यादव ने कहा कि भ्रष्टाचार रोकने के लिए सरकार कड़ा से कड़ा कानून बनाए लेकिन इससे संविधान के ढांचे के अंदर होना चाहिए उन्होंने कहा कि सिविल सोसाइटी के लोग जो मांगे उठा रहे हैं। बिहार में बनाए गए कानून में वह सभी बातें शामिल हैं।
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