
नई दिल्ली. अन्ना का अनशन कब टूटेगा? इस सवाल का जवाब अभी भी अंधेरे में है। शनिवार को लोकसभा में अन्ना की मांगों पर चर्चा होगी। यह चर्चा किसी नियम के तहत नहीं होगी। इस पर न तो मतदान होगा और न ही प्रस्ताव पारित किए जाने को लेकर सरकार ने कोई संकेत दिया है। अन्ना कह चुके हैं कि अगर प्रस्ताव पारित नहीं हुआ तो वह अनशन नहीं तोड़ेंगे।
लोकपाल बिल के मुद्दे पर कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी ने शुक्रवार को पहली बार अपनी राय सार्वजनिक तौर पर जाहिर की। लोकसभा में शून्य काल में इस मुद्दे पर बोलते हुए राहुल ने जहां अन्ना के आंदोलन पर निशाना साधा, वहीं निजी तौर पर अन्ना की तारीफ की। राहुल ने कहा, 'अन्ना जी का शुक्रिया अदा करता हूं कि उन्होंने आम लोगों की आवाज उठाई है। मैंने भी देश भर की यात्रा की है और सभी तरह के लोगों की भावनाएं और उनकी समस्याएं जानता हूं। भ्रष्टाचार से लड़ना आसान नहीं है। प्रभावी लोकपाल भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सिर्फ एक हथियार भर है। सिर्फ इसी कानून से भ्रष्टाचार नहीं मिटेगा। मैं चाहता हूं कि चुनाव आयोग की तरह लोकपाल को संवैधानिक संस्था बनाया जाए। मेरे खयाल से लोकपाल भी भ्रष्ट हो सकता है।मैं चाहता हूं कि भ्रष्टाचार पर बहस का स्तर और ऊपर उठा दिया जाए।'
अन्ना के आंदोलन पर तीखा हमला बोलते हुए कांग्रेस के महासचिव ने कहा कि इस तरह के विरोध प्रदर्शन से खतरनाक परंपरा की शुरुआत होगी जो हमारी संसदीय प्रणाली को कमजोर करेगा। उन्होंने कहा, 'मैं जानता हूं कि भ्रष्टाचार हर जगह है। इससे लड़ना गरीबी हटाने का मुख्य हथियार है। नरेगा या भूमि अधिग्रहण ऐसे ही कानून हैं। भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए नियम कानून जरूरी हैं। लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति भी जरूरी है।' राहुल के बयान के बीच में लोकसभा में जमकर हो हल्ला हुआ। विपक्ष का कहना था कि किस नियम के तहत राहुल गांधी को शून्य काल में बोलने की इजाजत दी गई। इस पर सदन में करीब पांच मिनट तक जमकर हंगामा हुआ। लोकसभा से निकलने के बाद संसद परिसर में जब राहुल गांधी से पूछा गया कि आप इतने दिन इस मुद्दे पर क्यों चुप थे? तो उन्होंने जवाब दिया कि मैं सोच समझकर बोलता हूं।
राहुल को सुनने के लिए बड़ी संख्या में कांग्रेसी सांसद जुटे थे। उनकी बहन प्रियंका भी वहां मौजूद थी। राहुल जिस समय सदन में बोल रहे थे, ठीक उसी समय अन्ना हजारे भी रामलीला मैदान में मंच पर आए और 'भारत माता की जय' और 'वंदे मातरम' की हुंकार के साथ समर्थकों का उत्साह बढ़ाया।
अन्ना 12 दिन से अनशन पर हैं। सरकार अब किसी भी तरह उनका अनशन तुड़वाना चाहती है। इस मकसद से लोकसभा में अन्ना की शर्तों पर शुक्रवार को ही बहस कराने की तैयारी थी। नियम 193 के तहत (जिसमें वोटिंग की व्यवस्था नहीं है) दोपहर ढाई बजे से शुरू होनी थी, लेकिन विपक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही साढ़े तीन बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। विपक्ष ने हंगामा इसलिए किया क्योंकि उसकी ओर से नियम 184 के तहत जन लोकपाल पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था। बाद में कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तब भी हंगामा जारी रहा और सरकार ने साफ कर दिया कि ऐसे में अब बहस शनिवार को ही होगी। फिर तय हुआ कि शनिवार 11 बजे वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी लोकसभा में बयान देंगे। इसके साथ ही चर्चा की शुरुआत होगी। भाजपा इसका विरोध कर रही है। ऐसे में शनिवार को भी लोकसभा में शुक्रवार की ही तरह हंगामे के आसार हैं और अन्ना का अनशन टूटने की उम्मीद अधर में फंस गई लगती है।
सरकार के इस रुख पर टीम अन्ना की सदस्य किरण बेदी आग बबूला हो गईं। उन्होंने रामलीला मैदान के मंच से सांसदों की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें साफ तौर पर स्पष्ट करना चाहिए कि वह जन लोकपाल बिल के हक में हैं या नहीं। उन्होंने कहा, 'हमारे साथ धोखा करने वाले सांसदों को हम अगली बार वोट नहीं देंगे।' जिस समय बेदी यह बात कह रही थीं, तभी वहां भाजपा नेता अनंत कुमार और गोपीनाथ मुंडे भी पहुंचे हुए थे। बेदी ने उन पर भी निशाना साधा।
बेदी ने कहा कि अब शनिवार को भी देखना है कि संसद में कौन सांसद हमारे पक्ष में बोलता है। यहां आकर तो कई सांसदों ने साथ होने का दावा किया है। पर हम टीवी पर बहस देख कर उनकी निष्ठा तय करेंगे और अगर वे हमारे हक में बोलने वाले सांसद निकले तो उन्हें अगले चुनाव में वोट देंगे, वरना नहीं।
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