अमेरिकी सरकार ने जहां इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, वहीं भारत व चीन जैसी उभरती अर्थ-व्यवस्थाओं वाले देशों ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। रेटिंग घटने से दुनिया के फिर आर्थिक मंदी की चपेट में आने की आशंका जताई जा रही है।
एसएंडपी ने शुक्रवार को कहा कि हमने अमेरिका की रेटिंग को डबल ए प्लस कर दिया है। अमेरिका को एसएंडपी ने जोखिम मुक्त देशों की सूची से बाहर कर दिया है। दो अन्य क्रेडिट एजेंसियों मूडी और फिच ने कहा है कि उनकी अमेरिका को रेटिंग में जोखिम मुक्त श्रेणी से हटाने की तत्काल कोई योजना नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को क्रेडिट रेटिंग घटाए जाने की खबर शुक्रवार शाम दे दी गई थी, जब वे छुट्टियां बिताने कैंप डेविड जा रहे थे।
अमेरिकी प्रशासन ने रेटिंग पर नाराजगी जताते हुए कड़े शब्दों में कहा कि उसकी आर्थिक सेहत का गलत आकलन किया गया है। साख निर्धारण के दौरान सरकारी खर्चो को दो हजार अरब डॉलर अधिक आंका गया है। जो बहुत बड़ी चूक है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने कहा कि इस रेटिंग से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारी प्रतिभूतियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि कई बड़ी रेटिंग एजेंसियों की नजर में हम अभी दुनिया की सबसे बड़ी आíथक ताकत हैं।
आर्थिक मंदी की ओर महाशक्ति
अमेरिका के आम आदमी पर क्या असर पड़ेगा
रेटिंग गिरने से सरकार को कर्ज लेना महंगा हो जाएगा। इससे अमेरिकियों को कर्ज पर ज्यादा ब्याज दर चुकानी होगी।
क्या बजट संतुलित नहीं रहा तो रेटिंग और गिरेगी
हां, एसएंडपी का यही कहना है। अगले डेढ़ से दो साल में रेटिंग और भी नीचे गिराई जा सकती है। यदि घाटे को कम करने के ठोस प्रयास नहीं हुए।
क्या विदेशी निवेशक अभी भी यूएस को कर्ज देंगे
चीन और यूके के निवेशक अमेरिका को काफी कम ब्याज पर कर्ज दे रहे हैं। अब निवेशकों को आकर्षित करना अमेरिका के लिए मुश्किल होगा। ऐसी स्थिति में किसी और देश से ज्यादा ब्याज पर कर्ज खरीदने की नौबत आ सकती है।
नौकरीपेशा और स्थानीय निवेशकों का क्या होगा
> क्रेडिट रेटिंग में गिरावट से निवेशक हतोत्साहित होंगे।
> डॉलर कमजोर होगा। अन्य मुद्राओं को मजबूती मिलेगी।
> निर्यात महंगा होगा और मुनाफा कम हो जाएगा।
> अमेरिका में लगेगा अतिरिक्तकर, मांग घटेगी तो निर्यात भी घटेगा।
मायने क्या हैं
क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां वित्तीय स्थिति, निवेश और शेयर बाजारों से मिले रुझानों के आधार पर क्रेडिट रेटिंग जारी करती हैं। अमेरिका की रेटिंग घटने का मतलब है उसे किसी भी तरह का कर्ज देना पहले से ज्यादा जोखिमभरा हो गया है।
क्या अब सुधरेगी
नहीं, अमेरिकी अर्थव्यवस्था के सुधरने की गति धीमी है। जून में 18000 को रोजगार मिला था। देश के शेयर बाजार 14 महीने की भारी गिरावट पर बंद हुए हैं। एसएंडपी ने कहा है कि आगे भी यही हाल रहा तो रेटिंग एक-डेढ़ साल में और घट सकती है।
वजह क्या रहीएसएंडपी के मुताबिक हाल ही में अमेरिकी संसद ने कर्ज सीमा बढ़ाने वाला जो विधेयक पारित किया है वह सरकार के मध्यम अवधि के कर्ज प्रबंधन को स्थिर करने के लिए पर्याप्त नहीं है। जो विधेयक पारित हुआ, उसमें राजस्व जुटाने के पर्याप्त प्रावधान नहीं हैं।
चीन आक्रामक, जापान निश्चिंत, भारत चिंतित
महाशक्ति कहने का लोभ छोड़े
चीन ने कहा अमेरिका को खुद को सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कहने का लोभ छोड़ देना चाहिए। डॉलर के स्थान पर विश्व स्तर पर नई मुद्रा स्वीकार की जाए।
जो होना था, वह हो चुका
द.कोरिया ने कहा, अमेरिका की साख घटने का खास असर नहीं दिखेगा। जो होना था, वह शुक्रवार को हो चुका है।
विश्वास कम नहीं होगा
जापान ने कहा है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर से उसका विश्वास कमजोर नहीं होगा।
समय रहते चेत जाना चाहिए
फिलीपींस ने कहा है कि अमेरिका को समय रहते चेत जाना चाहिए।
भारत पर असर
> चालू वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही में निर्यात प्रभावित होगा।
> रुपए में मजबूती से निर्यात महंगा होगा।
> आईटी, परिधान, जेवरात के निर्यात में कमी।
भारत के फंसे हैं 41 हजार अरब डॉलर
भारत और चीन समेत कई एशियाई देशों का करीब 300 हजार अरब डॉलर अमेरिकी अर्थव्यवस्था में फंसा हुआ है। अकेले भारत ने 41 हजार अरब डॉलर की अमेरिकी प्रतिभूतियां खरीद रखी हैं।
अमेरिकी संकट के चलते इस हफ्ते दुनियाभर के शेयर बाजारों को करीब 2.5 खरब डॉलर का नुकसान हो चुका है।
बाजार खुलते ही दिख सकता है असरक्रेडिट रेटिंग में कटौती का दुनिया के बाजारों पर सोमवार को असर दिख सकता है। हालांकि इसकी आशंका पहले से बन रही थी, इसलिए गंभीर असर के आसार कम हैं।
रेटिंग का महत्व
क्रेडिट रेटिंग को देश की वित्तीय स्थिति का सूचक माना जाता है। एसएंडपी को अमेरिका की सिक्यूरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ने मान्यता दे रखी है।
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