जी हाँ दोस्तों यह हमारी यु पी ऐ सरकार की कहानी है यहाँ भ्रस्ताचार से अत्याचार तक की अन्ना मामले में एक लम्बी कहानी बन गयी है ..कोंग्रेस और कोंग्रेस के नेताओं ने सरकार में रह कर एक शायर के इस शेर को सही साबित कर दिया है जिसमे कहा गया है के .यह झुन्ठों और मक्कारों की महफ़िल है ..सच बोले तो तुम भी निकाले जाओगे ..बात भी सही है कोंग्रेस में इन दिनों चापलूस और चमचों की दुनिया है जिस कोंग्रेस को प्रधानमन्त्री फर्जीवाड़ा कर असाम से टिकिट दिलवाकर मनमोहन सिंह को राज्य सभा के जरिये बुलाना पढ़ा हो उसे जनता के दुक्ख दर्द से क्या लेना देना जिस कोंग्रेस के रोम रोम में भ्रष्टाचार घुस गया हो उसे गांधीवादी विचारधारा से क्या लेना देना उसे राष्ट्रप्रेमी गाँधीवादी अन्ना के जज्बात से क्या वास्ता ऐसी कोंग्रेस को संविधान की भावना जनता का जनता के लियें जनता द्वारा शासन और कार्यपालिका। विधायिका । न्यायपालिका को जब जनता के प्रति जवाबदार बनाया है तब जनता की आवाज़ से कोंग्रेस को क्या लेना देना ..इन दिनों अन्ना और लोकपाल बिल के मामले में कोंग्रेस ने खुद की जो फजीहत करवाई है भ्रष्टाचार से अत्याचार तक का जो सफ़र तय किया है उससे लगता है के कोंग्रेस विदेशों के हाथो में है और देश के संविधान को ताक में रख कर वही अंग्रेजों की तानाशाही पर आ गयी है ......देश में कोई कानून ऐसा नहीं के किसी को अपराध पूर्व गिरफ्तार कर लिया जाए ..उसकी फर्द गिरफ्तारी नहीं बनाई जाए सुचना नहीं दी जाए और फिर उसे जेल भेज दिया जाए ........पहले के आन्दोलनों में मधु लिमये और मेनका गाँधी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कोंग्रेस की तानाशाही वाले आदेशों को ख़ारिज के सरकार को लताड़ पिलाई थी अन्ना का केस भी कुछ ऐसा ही है लेकिन इस गलत गिरफ्तारी को अब तक सुप्रीमकोर्ट में चेलेंज नहीं करना अन्ना के समर्थकों की ढिलाई ही दर्शाता है या फिर किसी डील की तरफ इशारा करता है देश में ऐसा भी कानून नहीं है के किसी को गिरफ्तार करो मर्जी आये जब छोड़ दो और फिर एक स्थान से ले जाकर किसी दुसरे स्थान पर जबरन छोड़ दो लेकिन क्या करें यह तो सरकार है और सरकार को भ्रस्ताचार से अत्याचार के खेल में मजा आ रहा है ..अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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